पेट्रोलियम पदार्थों को भी जीएसटी के दायरे में रखें : ओएनजीसी

रविवार, 28 मई 2017 (13:59 IST)
नई दिल्ली। कच्चे तेल, पेट्रोल, डीजल जैसे पेट्रोलियम उत्पादों को वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) व्यवस्था से बाहर रखे जाने का पेट्रोलियम कंपनियों को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। 
 
तेल कंपनियों का मानना है कि जीएसटी एक श्रृंखलाबद्ध कर प्रणाली है, ऐसे में कुछ उत्पादों को इसके दायरे से बाहर रखे जाने से कर प्रणाली की कड़ी टूट जाएगी और इसका लाभ उन कंपनियों को नहीं मिल पाएगा जिनके उत्पाद इसके दायरे से बाहर होंगे।
 
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक दिनेश के. सर्राफ ने इस संबंध में पूछे गए सवाल पर यहां कहा कि जीएसटी व्यवस्था एक श्रृंखलाबद्ध कर प्रणाली है, पेट्रोलियम क्षेत्र में बहुत सारे उत्पाद हैं, इनमें कुछ उत्पादों पर जीएसटी नहीं लगने से इनकी कर की श्रृंखला टूट जाएगी। कंपनियों को ऐसे उत्पादों में विभिन्न इनपुट पर तो कर देना पड़ेगा लेकिन उन्हें आगे इसका क्रेडिट नहीं मिल पाएगा जिससे उन्हें नुकसान होगा। कंपनी के वार्षिक परिणाम इसी सप्ताह घोषित किए गए। 
 
सर्राफ ने कहा कि इस व्यवस्था से पेट्रोलियम पदार्थों की बिक्री करने वाले और उनका उत्पादन अथवा खोज करने वाली दोनों तरह की कंपनियों को नुकसान होगा। एक अनुमान के मुताबिक पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी व्यवस्था से बाहर रखे जाने पर कंपनियों को करोड़ों रुपए के कर नुकसान होगा। कई विशेषज्ञों और कर जानकारों ने पेट्रोलियम उत्पादों के इसके दायरे में लाए जाने की वकालत की है। 
 
हालांकि जीएसटी व्यवस्था को अमल में लाने वाली सर्वोच्च संस्था ‘जीएसटी परिषद’ ने फिलहाल प्राकृतिक गैस, कच्चा तेल, पेट्रोल, डीजल और विमान ईंधन को इसके दायरे से बाहर रखने पर सहमति जताई है। इसे बाद में इसमें शामिल करने पर विचार किया जाएगा। जीएसटी व्यवस्था 1 जुलाई से लागू होनी है।
 
सर्राफ ने कहा कि पेट्रोलियम मंत्रालय भी इस दिशा में प्रयासरत है, हालांकि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान भी कह चुके हैं कि जीएसटी परिषद में सहमति बनने के बाद ही पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है और इसके लिए प्रयास जारी हैं। हम अपनी तरफ से जीएसटी परिषद के समक्ष अपनी बात रख रहे हैं।
 
ओएनजीसी का एकल शुद्ध लाभ 2016-17 की चौथी तिमाही में 6.2 प्रतिशत घटकर 4,340 करोड़ रुपए रहा जबकि वार्षिक आधार पर मुनाफा 10.9 प्रतिशत बढ़कर 17,900 करोड़ रुपए हो गया। चौथी तिमाही में सकल राजस्व हालांकि 33.7 प्रतिशत बढ़कर 21,714 करोड़ रुपए हो गया, वहीं वार्षिक कारोबार मामूली 0.2 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 77,907 करोड़ रुपए हो गया।
 
कंपनी निदेशक मंडल ने 16 प्रतिशत का अंतिम लाभांश देने की सिफारिश की है। इससे पहले उसने 105 प्रतिशत लाभांश की घोषणा की हुई है। इस प्रकार 2016-17 के लिए कुल 121 प्रतिशत लाभांश दिया जाएगा। कंपनी के बोनस शेयर के बाद इसे समायोजित किया गया है। (भाषा)

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