'जीएसटी' लागू करने का रास्ता साफ, चारों विधेयकों को लोकसभा की मंजूरी

बुधवार, 29 मार्च 2017 (23:47 IST)
नई दिल्ली। देश में ऐतिहासिक कर सुधार व्यवस्था ‘जीएसटी’ को लागू करने का मार्ग प्रशस्त करते हुए लोकसभा ने आज वस्तु एवं सेवा कर से जुड़े चार विधेयकों को मंजूरी दे दी तथा सरकार ने आश्वस्त किया कि नई कर प्रणाली में उपभोक्ताओं और राज्यों के हितों को पूरी तरह से सुरक्षित रखने के साथ ही कृषि पर कर नहीं लगाया गया है।
 
लोकसभा ने आज केंद्रीय माल एवं सेवा कर विधेयक 2017 (सी जीएसटी बिल), एकीकृत माल एवं सेवा कर विधेयक 2017 (आई जीएसटी बिल), संघ राज्य क्षेत्र माल एवं सेवाकर विधेयक 2017 (यूटी जीएसटी बिल) और माल एवं सेवाकर (राज्यों को प्रतिकर) विधेयक 2017 को सम्मिलित चर्चा के बाद कुछ सदस्यों के संशोधनों को नामंजूर करते हुए ध्वनिमत से पारित कर दिया। धन विधेयक होने के कारण इन चारों विधेयकों पर अब राज्यसभा को केवल चर्चा करने का अधिकार होगा।
 
वस्तु एवं सेवा कर संबंधी विधेयकों पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने विपक्ष की इन आशंकाओं को निर्मूल बताया कि इन विधेयकों के जरिए कराधान के मामले में संसद के अधिकारों के साथ समझौता किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पहली बात तो इसी संसद ने संविधान में संशोधन कर जीएसटी परिषद को करों की दर की सिफारिश करने का अधिकार दिया है।
 
जेटली ने कहा कि जीएसटी परिषद पहली संघीय निर्णय करने वाली संस्था है। संविधान संशोधन के आधार पर जीएसटी परिषद को मॉडल कानून बनाने का अधिकार दिया गया। जहां तक कानून बनाने की बात है तो यह संघीय ढांचे के आधार पर होगा, वहीं संसद और राज्य विधानसभाओं की सर्वोच्चता बनी रहेगी। हालांकि इन सिफारिशों पर ध्यान रखना होगा क्योंकि अलग अलग राज्य अगर अलग दर तय करेंगे तो अराजक स्थिति उत्पन्न हो जाएगी। यह इसकी सौहार्दपूर्ण व्याख्या है औार इसका कोई दूसरा अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए।
 
एक समान कर बनाने की बजाए कई कर दर होने के बारे में आपत्तियों पर स्थिति स्पष्ट करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि कई खाद्य उत्पाद हैं जिनपर अभी शून्य कर लगता है और जीएसटी प्रणाली लागू होने के बाद भी कोई कर नहीं लगेगा। कई चीजें ऐसी होती हैं जिन पर एक समान दर से कर नहीं लगाया जा सकता। जैसे-तंबाकू, शराब आदि की दरें ऊंची होती हैं जबकि कपड़ों पर सामान्य दर होती है।
 
उन्होंने कहा, अब हवाई चप्पल और बीएमडब्ल्यू कार पर एक समान कर नहीं लगाया जा सकता। जेटली ने कहा कि जीएसटी परिषद में चर्चा के दौरान यह तय हुआ कि आरंभ में कई कर लगाना ज्यादा सरल होगा। 
 
वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी परिषद ने विचार विमर्श के बाद जीएसटी व्यवस्था में 0, 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत की दरें तय की है। लक्जरी कारों, बोतल बंद वातित पेयों, तंबाकू उत्पाद जैसी अहितकर वस्तुओं एवं कोयला जैसी पर्यावरण से जुड़ी सामग्री पर इसके उपर अतिरिक्त उपकर भी लगाने की बात कही है।
 
उन्होंने कहा कि 28 प्रतिशत से अधिक लगने वाला उपकर (सेस) मुआवजा कोष में जाएगा और जिन राज्यों को नुकसान हो रहा है, उन्हें इसमें से राशि दी जाएगी। ऐसा भी सुझाव आया कि इसे कर के रूप में लगाया जाए। लेकिन कर के रूप में लगाने से उपभोक्ताओं पर प्रभाव पड़ता। लेकिन उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त कर नहीं लगाया जाएगा।
 
जेटली ने कहा कि मुआवजा उन राज्यों को दिया जाएगा जिन्हें जीएसटी प्रणाली लागू होने से नुकसान हो रहा हो। यह आरंभ के पांच वषरे के लिए होगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के दौरान इसलिए जीएसटी पर आमसहमति नहीं बन सकी क्योंकि नुकसान वाले राज्यों को मुआवजे के लिए कोई पेशकश नहीं की गई थी। जीएसटी में मुआवजे का प्रावधान ‘डील करने में सहायक’ हुआ और राज्य साथ आए।
 
जीएसटी में रीयल इस्टेट क्षेत्र को शामिल नहीं किए जाने पर कई सदस्यों की आपत्ति पर स्पष्टीकरण देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें राज्यों को काफी राजस्व मिलता है। इसमें रजिस्ट्री तथा अन्य शुल्कों से राज्यों की आय होती है इसलिए राज्यों की राय के आधार पर इसे जीएसटी में शामिल नहीं किया गया है।
 
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जीएसटी परिषद में कोई भी फैसला लेने में केंद्र का वोट केवल एक तिहाई है जबकि दो तिहाई वोट राज्यों को है। इसलिए कोई भी फैसला करते समय केंद्र अपनी राय थोपने के पक्ष में नहीं है।
 
वस्तु एवं सेवा कर को संवैधानिक मंजूरी प्राप्त पहला संघीय अनुबंध करार देते हुए जेटली ने कहा कि उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त कर का भार नहीं डालते हुए जीएसटी के माध्यम से देश में ‘एक राष्ट्र, एक कर’ की प्रणाली लागू करने का मार्ग प्रशस्त होगा। वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी परिषद कर ढांचे को सर्वसम्मति से तय कर रही है और इस बारे में अब तक 12 बैठकें हो चुकी हैं। 
 
यह विधेयक केंद्र और राज्य सरकारों के बीच साझी संप्रभुता के सिद्धांत पर आधारित है और यह ऐसी पहली पहल है। जीएसटी के लागू होने पर केन्द्रीय स्तर पर लगने वाले उत्पाद शुल्क, सेवाकर और राज्यों में लगने वाले मूल्य वर्धित कर (वैट) सहित कई अन्य कर इसमें समाहित हो जाएंगे।
 
जेटली ने विधेयकों को स्पष्ट करते हुए कहा कि केंद्रीय जीएसटी संबंधी विधेयक के माध्यम से उत्पाद, सेवा कर और अतिरिक्त सीमा शुल्क समाप्त हो जाने की स्थिति में केंद्र को कर लगाने का अधिकार होगा। समन्वित जीएसटी या आईजीएसटी के जरिए वस्तु और सेवाओं की राज्यों में आवाजाही पर केंद्र को कर लगाने का अधिकार होगा।
 
कर छूट के संबंध में मुनाफे कमाने से रोकने के उपबंध के बारे में स्थिति स्पष्ट करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि अगर 4.5 प्रतिशत कर छूट दी जाती है तब इसका अर्थ यह नहीं कि उसे निजी मुनाफा माना जाए बल्कि इसका लाभ उपभोक्ताओं को भी दिया जाए। इस उपबंध का आशय यही है।
 
वित्त मंत्री ने कहा कि रियल इस्टेट की तरह ही स्थिति शराब और पेट्रोलियम उत्पादों के संबंध में भी थी। राज्यों के साथ चर्चा के बाद पेट्रोलियम पदाथरे को इसके दायरे में लाया गया है लेकिन इसे अभी शून्य दर के तहत रखा गया है। इस पर जीएसटी परिषद विचार करेगी। शराब अभी भी इसके दायरे से बाहर है। 
 
वित्त मंत्री ने कहा कि पहले एक व्यक्ति को व्यवसाय के लिए कई मूल्यांकन एजेंसियों के पास जाना पड़ता था। आर्थिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए उत्पाद शुल्क, सेवा कर, राज्य वैट, मनारंजन कर, प्रवेश शुल्क, लक्जरी टैक्स एवं कई अन्य कर से गुजरना पड़ता था। 
 
उन्होंने कहा कि वस्तुओं और सेवाओं का देश में सुगम प्रवाह नहीं था। ऐसे में जीएसटी प्रणाली को आगे बढ़ाया गया। एक ऐसा कर जहां एक मूल्यांकन अधिकारी हो। अधिकतर स्व मूल्यांकन हों और ऑडिट मामलों को छोड़कर केवल सीमित मूल्यांकन हो। जेटली ने कहा कि कर के उपर कर लगता है जिससे मुद्रास्फीति की प्रवृत्ति बढ़ती है। इसलिए सारे देश को एक बाजार बनाने का विचार आया। यह बात आई कि सरल व्यवस्था देश के अंदर लाई जाए।
 
कृषि को जीएसटी के दायरे में लाने को निर्मूल बताते हुए वित्तमंत्री ने कहा कि कृषि एवं कृषक को पंजीकरण की आवश्यकता नहीं होती है। धारा 23 के तहत कृषक एवं कृषि को छूट मिली हुई है। इसलिए इस छूट की व्याख्या के लिए परिभाषा में इसे रखा गया है। इस बारे में कोई भ्रम नहीं होना चाहिए। जेटली ने कहा कि कृषि उत्पाद जब शून्य दर वाले हैं तब इस बारे में कोई भ्रम की स्थिति नहीं होनी चाहिए।
 
इस बारे में कांग्रेस की आपत्तियों को खारिज करते हुए जेटली ने कहा कि 29 राज्य, दो केंद्र शासित प्रदेश और केंद्र ने इस पर विचार किया जिसमें कांग्रेस शासित प्रदेश के आठ वित्त मंत्री शामिल थे। ‘तब क्या इन सभी ने मिलकर एक खास वर्ग के खिलाफ साजिश की?’ 
 
जीएसटी लागू होने के बाद वस्तु एवं जिंस की कीमतों में वृद्धि की आशंकाओं को खारिज करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि कर की दरें वर्तमान स्तर पर रखी जाएंगी ताकि इसका मुद्रास्फीति संबंधी प्रभाव नहीं पड़े। जेटली ने कहा कि जम्मू कश्मीर विधानसभा जीएसटी के बारे में अपना एक विधान लाएगी। (भाषा)

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