चंडीगढ़ मेयर चुनाव में भाजपा ने कैसे जीती हारी हुई बाजी?

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
मंगलवार, 30 जनवरी 2024 (15:51 IST)
Chandigarh mayor election : चंडीगढ़ के महापौर पद के लिए हुए चुनाव में भाजपा उम्मीदवार मनोज सोनकर ने मंगलवार को कांग्रेस समर्थित आम आदमी पार्टी के कुलदीप सिंह को हराकर जीत हासिल कर ली है। सोनकर को 16 मत मिले जबकि कुमार के पक्ष में 12 मत आए। 8 वोट को अवैध घोषित कर दिया गया। नवनिर्वाचित महापौर वरिष्ठ उप महापौर और उप महापौर के पद पर चुनाव कराएंगे।

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चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी ने महापौर पद के लिए प्रत्याशी खड़ा किया था। कांग्रेस ने वरिष्ठ उपमहापौर और उपमहापौर पदों के लिए अपने उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे हैं।
 
चंडीगढ़ नगर निगम में 35 सदस्यीय सदन में भाजपा के 14 पार्षद हैं। आप के 13 और कांग्रेस के 7 पार्षद हैं। शिरोमणि अकाली दल का एक पार्षद है। इस तरह चुनाव में आप और कांग्रेस के संयुक्त उम्मीदवार की जीत तय नजर आ रही थी।
 
बहरहाल चुनावों में 8 वोट अवैध घोषित कर दिए गए। अवैध घोषित वोटों में एक भी भाजपा का नहीं था। नतीजे घोषित होते ही विपक्षी गठबंधन इंडिया के घटक दल आप और कांग्रेस के पार्षदों ने विरोध प्रदर्शन किया। दिल्ली में आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर ‘धोखा’ देने का आरोप लगाया।
 
मामला एक बार पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में पहुंच गया है। इस मामले में इंडिया गठबंधन की अर्जी पर बुधवार को सुनवाई होगी।

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मेयर चुनाव में इंडिया गठबंधन के पास बहुमत होने के बाद जीत निश्चित थी लेकिन भाजपा ने गुंडागर्दी कर मेयर चुनाव जीत कर बेशर्मी की सारी हदें पार कर दी। अगर बीजेपी एक मेयर चुनाव में ऐसी धक्केशाही कर रही है तो लोकसभा चुनाव हारने पर क्या करेगी।
 
 
 
मतदान मूल रूप से 18 जनवरी को होना था, लेकिन पीठासीन अधिकारी के बीमार पड़ने के बाद चंडीगढ़ प्रशासन ने इसे 6 फरवरी तक के लिए टाल दिया था। प्रशासन ने उस समय भी कहा था कि कानून-व्यवस्था की स्थिति का आकलन करने के बाद चुनाव स्थगित कर दिया गया था।
 
चुनाव टालने के प्रशासन के आदेश पर कांग्रेस और आप पार्षदों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था। कुलदीप कुमार ने चंडीगढ़ के उपायुक्त के चुनाव टालने के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
 
उच्च न्यायालय ने 24 जनवरी के अपने आदेश में चंडीगढ़ प्रशासन को 30 जनवरी को सुबह 10 बजे महापौर पद के लिए चुनाव कराने का निर्देश दिया था। उसने चुनाव स्थगित करने के प्रशासन के 18 जनवरी के आदेश को अनुचित, अन्यायपूर्ण और मनमाना बताते हुए रद्द कर दिया।
 
उच्च न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया था कि वोट डालने आने वाले पार्षदों के साथ किसी अन्य राज्य का कोई समर्थक या सुरक्षाकर्मी नहीं होगा। अदालत ने कहा था कि चंडीगढ़ पुलिस पार्षदों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।

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