हालांकि लोकसभा में धारा 370 हटाने का संकल्प पेश करते हुए केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 का एक खंड लागू होगा, बाकी नहीं। अन्य राज्यों के लोगों द्वारा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में संपत्ति खरीदे जाने का मामला इस पर भी निर्भर करेगा कि सरकार इस संबंध में दूसरे राज्यों के लोगों को क्या अधिकार देती है।
इस अधिसूचना के बाद यह तो तय हो गया है कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को मिला दोहरी नागरिकता का विशेषाधिकार समाप्त हो जाएगा। साथ ही सभी लोग भारतीय संविधान के दायरे में आ जाएंगे। भारतीय सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी वहां लागू होगा। अभी तक वहां पर पाकिस्तान से आए व्यक्ति को तो नागरिकता मिल सकती थी, लेकिन भारत के किसी व्यक्ति को नहीं।
इतना ही नहीं, कश्मीर की बेटी यदि भारत के दूसरे राज्य में रहने वाली किसी व्यक्ति से शादी कर लेती थी तो उसकी कश्मीरी नागरिकता स्वत: ही समाप्त हो जाती थी। ऐसे में पिता की संपत्ति में भी उसका अधिकार समाप्त हो जाता था। इसका सबसे बड़ा उदाहरण फारूक अब्दुल्ला की बेटी और उमर अब्दुल्ला की बहन सारा अब्दुल्ला हैं, जिनका विवाह कांग्रेस के दिग्गज नेता सचिन पायलट से हुआ था। इस विवाह के बाद उनका संपत्ति का अधिकार भी समाप्त हो गया। कश्मीरी पंडितों की बेटियां, जिन्होंने दूसरे राज्य के लोगों से शादी की है, उनके अधिकार भी खत्म हो गए हैं।
दूसरी ओर भारतीय संविधान में बेटी को संपत्ति में बराबरी का दर्जा है। वह भी पैतृक संपत्ति में बराबर की हकदार होती है। लेकिन, केन्द्र सरकार के ताजा फैसले के बाद उम्मीद की जा रही है कि जम्मू-कश्मीर की परिस्थितियों में बदलाव आएगा। न सिर्फ कश्मीर की बेटियों को पैतृक संपत्ति में हक मिलेगा, बल्कि दूसरे राज्यों में रहने वाले भारतीय नागरिकों को भी वहां संपत्ति का अधिकार मिलेगा।