पिछले साल 200 के लगभग आतंकी ढेर कर दिए गए। इन सफलताओं का श्रेय सिर्फ सुरक्षाबलों को ही नहीं जाता है बल्कि उनके इंटेलिजेंस नेटवर्क तथा खबरियों को भी जाता है जो सुरक्षाबलों की ही तरह जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। जबकि उससे भी ज्यादा श्रेय के हकदार वे कश्मीरी नागरिक हैं जो अब आतंकियों से त्रस्त हो चुके हैं।
कश्मीर के रेंज के पुलिस आईजी विजय कुमार और महानिदेशक दिलबाग सिंह भी इसे स्वीकार कर चुके हैं कि हमलों और हत्याओं के तुंरत बाद आतंकियों को ढेर करने में उनका खुफिया तंत्र तथा खबरी अहम भूमिका निभा रहे हैं। वे इसे भी स्वीकार करते हैं कि कश्मीरी नागरिकों की मदद के बिना इतनी तत्परता से आतंकियों को मार गिराना संभव नहीं हो पाता।
अमीरा कदल में हुए हथगोले के हमले के मामले को ही लें, जिसमें दो नागरिकों की मौत हो गई थी और जिम्मेदार 2 आतंकियों को 24 घंटों के भीतर ही दबोचा गया था और इसके लिए श्रेय के हकदार मजबूत खुफिया तंत्र, खबरी तथा आम कश्मीरी की अप्रत्यक्ष मदद ही थी।