किसी भी राज्य में पहला दस्ता :दिल्ली पुलिस का यह कमांडो दस्ता देश की किसी भी राज्य पुलिस में पहला दस्ता है। पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक की देखरेख में बनाए गए इस विशेष दस्ते में 36 महिला कॉन्स्टेबल हैं। इनको करीब 15 महीने तक सख्त ट्रेनिंग दी गई है। आमतौर पर कमांडो ट्रेनिंग 12 महीने की होती है लेकिन विमिन SWAT कमांडो को ऐसी ट्रेनिंग दी गई है जो कि मेल कमांडो से भी अधिक ट्रेंड है।
इस विमिन कमांडो में असम से 13, मणिपुर से 5, अरुणाचल प्रदेश से 5, सिक्किम से 5, मेघालय से 4, नगालैंड से 2 और मिजोरम व त्रिपुरा से 1-1 कॉन्स्टेबल ली गई हैं। यह दस्ता बख्तरबंद गाड़ियों में तैनात होगा और इसे चलाएंगी भी विमन कमांडो ही। फिलहाल इस दस्ते को राजपथ और विजय चौक पर तैनात किया जाएगा।
हथियार चलाने में एक्सपर्ट हैं, महिला कमांडो : इन महिला कमांडो को जीलॉक 21 पिस्टल, एमपी5 सबमशीन गन की भी एक्सपर्ट ट्रेनिंग दी गई है। इस तरह की टीम दुनिया के कई बड़े देशों के पास नहीं है। हथियार न होने की स्थिति में भी लड़ने की ट्रेनिंग दी गई है। इसके लिए इन्हें इजराइली कर्व मागा की ट्रेनिंग दी गई है।
पुरुषों से ज्यादा ट्रेनिंग : यह टीम किसी भी आतंकी हमले से निपटने की पूरी क्षमता रखती है। इन्हें झारौंदा कलां और एनएसजी के मानेसर स्थित सेंटर पर दी गई है। जहां पुरुष कमांडो को 12 महीने की ट्रेनिंग दी जाती है, वहीं इन महिलाओं को 15 महीने की कड़ी ट्रेनिंग दी गई है। इन्हें 12 महीनों की कमांडों ट्रेनिंग के अलावा 3 महीने की स्वैट ट्रेनिंग स्वैट एक्सपर्ट द्वारा दी गई है।
पराक्रम में होंगी तैनात : महिला स्वैट टीम को बेहद खतरनाक स्टंट जैसे बिल्डिंग पर चढ़ने की ट्रेनिंग भी दी गई है। साथ ही इन्हें बंधकों को बचाने के लिए मेट्रो, होटल और बसों में ऑपरेशन चलाने की ट्रेनिंग दी गई है। इसके अलावा इन्हें ऐंटि-टैरर वैन 'पराक्रम' में तैनात किया जाएगा। महिला कमांडो को इस तरह तैयार किया गया है कि यह दिल्ली पर होने वाले किसी भी हमले से ये निपट सकती हैं।