रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि दोनों पक्षों ने अनेक द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पहलों की प्रगति का जायजा लिया और साझेदारी पर संतोष जताया। मंत्रियों ने विशेष रूप से रक्षा उद्योग, समुद्री सुरक्षा और बहुराष्ट्रीय सहयोग के मौजूदा क्षेत्रों को बढ़ाने के साधनों की पहचान की।
दोनों पक्ष द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और मजबूत करने पर केंद्रित रहे हैं तथा दक्षिण चीन सागर में हालात की समीक्षा कर रहे हैं। इस क्षेत्र में चीन का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। सिंह ने घोषणा की कि स्वदेश निर्मित मिसाइल युद्धपोत आईएनएस कृपाण को उपहार में देना वियतनाम की नौसेना की क्षमताओं के बढ़ाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान और रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में शामिल हुए। जनरल जियांग 18 जून को दो दिन के दौरे पर भारत आए थे। वियतनामी रक्षा मंत्री ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) मुख्यालय का दौरा किया और रक्षा अनुसंधान तथा संयुक्त उत्पादन के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाकर रक्षा उद्योग क्षमताओं को विस्तार देने के तरीकों पर चर्चा की।
जुलाई 2007 में वियतनाम के तत्कालीन प्रधानमंत्री गुएन तान दुंग की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच संबंधों का स्तर रणनीतिक साझेदारी के स्तर पर पहुंच गया था। प्रधानमंत्री मोदी की 2016 में हुई वियतनाम की यात्रा के दौरान द्विपक्षीय संबंध उन्नत होकर समग्र रणनीतिक साझेदारी के स्तर पर पहुंच गए थे।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)