ISRO: भारत, सिंगापुर के डीएस-एसएआर उपग्रह (DS-SAR satellite) और 6 अन्य उपग्रहों को पीएसएलवी-सी56 के जरिए 30 जुलाई को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के श्रीहरिकोटा (Sriharikota) अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित करेगा। अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि उपग्रहों को श्रीहरिकोटा केंद्र के पहले लॉन्च पैड से सुबह 6.30 बजे प्रक्षेपित किया जाएगा।
डीएस-एसएआर उपग्रह को सिंगापुर की रक्षा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी एजेंसी (डीएसटीए) और सिंगापुर के ही एसटी इंजीनियरिंग के बीच साझेदारी के तहत विकसित किया गया है। सिंगापुर सरकार की विभिन्न एजेंसी की उपग्रह से प्राप्त होने वाली तस्वीरों संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इस उपग्रह का उपयोग किया जाएगा। एसटी इंजीनियरिंग अपने वाणिज्यिक ग्राहकों को मल्टी-मॉडल एवं उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें और भू-स्थानिक सेवाएं मुहैया कराने के लिए इसका उपयोग करेगा।
डीएस-एसएआर में 'इसराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज' (आईएआई) द्वारा विकसित 'सिंथेटिक अपर्चर रडार' (एसएआर) पेलोड है। इसकी मदद से डीएस-एसएआर हर मौसम के दौरान दिन और रात में तथा पूर्ण पोलारिमेट्री पर एक मीटर-रेजॉल्यूशन की तस्वीरें लेने में सक्षम हैं।
इसरो ने सोमवार को ट्वीट किया कि अंतरिक्ष विभाग के तहत केंद्र सरकार के उपक्रम 'न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड' (एनसिल) ने सिंगापुर के डीएसटीए एवं एसटी इंजीनियरिंग के 360 किलोग्राम वजनी डीएस-एसएआर उपग्रह को अंतरिक्ष में स्थापित करने के लिए पीएसएलवी-सी56 खरीदा।
इसरो ने बताया कि 6 अन्य उपग्रहों में वेलोक्स-एएम शामिल है, जो 23 किलोग्राम वजनी प्रौद्योगिकी प्रदर्शन सूक्ष्म उपग्रह है। इसके अलावा प्रायोगिक उपग्रह 'एटमॉस्फेरिक कपलिंग एंड डायनेमिक्स एक्सप्लोरर (आर्केड) और 3यू नैनो उपग्रह स्कूब-2 को भी अंतरिक्ष ले जाया जाएगा।
इसरो ने बताया कि शहरी और दूरस्थ इलाकों में उपकरणों एवं क्लाउड के बीच निर्बाध संपर्क सेवा मुहैया कराने वाले उन्नत 3यू नुलायन (नुस्पेस द्वारा विकसित), पृथ्वी की निचली कक्षा में परिक्रमा करने वाले 3यू नैनो उपग्रह गैलासिया-2 और अंतरराष्ट्रीय सहयोग से विकसित ओआरबी-12 स्ट्राडर को भी पीएसएलवी-सी56 के साथ प्रक्षेपित किया जाएगा।(भाषा)