रक्षा मंत्रालय ने इन विमानों की खरीद के लिए शुक्रवार को दुनिया भर की कंपनियों से आवेदन मांगते हुए जानकारी पत्र यानी 'रिक्वेस्ट फॉर इन्फॉरमेशन' (आरएफआई) जारी किया। आरएफआई के अनुसार कुल विमानों में से 75 प्रतिशत एक इंजन के और बाकी दो इंजन के होंगे। एक सौ दस विमानों में से 15 प्रतिशत उड़ने के लिए तैयार हालत में खरीदे जाएंगे जबकि शेष 85 प्रतिशत को संबंधित कंपनी देश में ही भारतीय सामरिक भागीदार के साथ मिलकर बनाएगी।
किसी भी खरीद के लिए आरएफआई पहला चरण होता है, जिसमें कंपनियों को अपनी जरूरत बताते हुए उनसे यह पूछा जाता है कि क्या वह इन जरूरतों को पूरा करने वाला उत्पाद देने में सक्षम है। वायुसेना के पास लड़ाकू विमानों की स्वीकृत संख्या 42 की तुलना में केवल 31 स्क्वैड्रन ही हैं और सरकार एक दशक से भी अधिक समय से इन विमानों की खरीद में लगी है, लेकिन उसे अब तक सफलता नहीं मिली है और आज उसने इस सारी प्रक्रिया को नए सिरे से शुरू किया है।
वायुसेना की तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए मोदी सरकार ने फ्रांस सरकार से उड़ने की हालत में तैयार 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद का सौदा किया था, जिसकी आपूर्ति अगले साल शुरू होने की संभावना है। (वार्ता)