ईरान और इजराइल में युद्ध हुआ तो भारत किस ओर जाएगा? भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा...

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024 (13:15 IST)
Iran Israel War News: इजराइल और ईरान में युद्ध हुआ तो भारत पर निश्चित ही इसका असर पड़ेग। ईरान और इजरायल दोनों ही भारत के मित्र देश हैं। तो माना जा रहा है कि इस युद्ध के बीच भारत की स्थिति एक दम न्‍यूट्रल होगा। भारत के लिए चुनौती यह है कि जहां इजराइल भारत का स्ट्रैटजिक सप्लायर है तो वहीं मध्य एशिया और पूर्वी यूरोपियन देशों तक कनेक्टिविटी के लिए रास्ता ईरान से हो कर निकल रहा है। इसलिए भारत चाबहार पोर्ट में ईरान के साथ मिलकर काम कर रहा है। 

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राजनयिक सूत्रों के अनुसार भारत सरकार एक ऐसी योजना बना रही है जिससे भारत पर युद्ध का प्रतिकूल प्रभाव ना पड़े। हाल ही में भारत के व्यापार सचिव ने कहा कि भारत सरकार ईरान और इजराइल के बीच संघर्ष के प्रभाव को पूरी तरह से समझने के बाद अपने व्यापार पर किसी भी प्रभाव को कम करने के लिए नीतिगत निर्णय लेगा। 
 
भारत के व्यापार सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा कि हम व्यापारियों के सामने आने वाली समस्याओं को समझेंगे। जो भी आवश्यक होगा सरकार निश्चित रूप से उस पर ध्यान देगी। भारत, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता है और हम अपनी पेट्रोलियम खरीद का एक बड़ा हिस्सा मध्य पूर्व से आयात करते हैं। दुनिया की पूरी ऑयल सप्लाई का 20 फीसदी इसी मार्ग से गुजरता है। ईरान दुनिया का सातवां सबसे बड़ा तेल सप्लायर देश है।  
 
इजराइल और ईरान के बीच जंग होती है तो पूरा मिडिल ईस्ट ही इससे प्रभावित होगा और उसके बाद दुनियाभर में एनर्जी क्राइसिस से लेकर आर्थिक हालत पर असर होना तय है, ईरान पर इजराइली मिसाइलों की खबर के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल और गोल्ड के दाम बढ़ गए हैं। शुक्रवार को एशियाई बाजार में ब्रेंट क्रूड के दाम ढाई फीसदी बढ़ कर 90 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गए। जबकि सोना 2400 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया।   
 
उल्लेखनीय है कि इजराइल भी भारत का एक अच्‍छा मित्र देश है और मोदी सरकार ने इसराइल से अबतक के सबसे दोस्ताना संबंध कायम किए हैं। 1999 कार्गिल जंग के दौरान इजराइल खुलकर भारत के समर्थन में सामने आया था। रक्षा क्षेत्र में इजराइल और भारत के बीच समझौते हुए हैं, जिसके तहत भारत के MSME (माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम) क्षेत्र में स्‍टार्टअप शुरू करने में इजराइल ने भारत की मदद की है। 

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अगर इजराइल और ईरान का भी संघर्ष शुरू हो गया तो भारत की रक्षा सप्लाई पर असर पड़ सकता है। रूस और यूक्रेन संघर्ष के बाद रूस से आने वाली सप्लाई पर असर हुआ तो भारत ने विकल्प के तौर पर यूएस, इजराइल और नाटो देशों से रक्षा उपकरणों के लिए नए करार किए। 
 
लेकिन अगर इजराइल-ईरान संघर्ष होता है तो उसमें अमेरीका और अन्य नाटो देश उलझ जाएंगे। इजराइल-हमास संघर्ष में इजराइल पहले ही उलझा है। ऐसे में अगर एलएसी पर चीन या एलओसी पर पाकिस्तान से किसी भी प्रकार के विवाद की स्थिति में भारत को अपने डिफेंस के लिए सपोर्ट और सप्लायर मिलने में मुश्किल होगी। जिसका असर हमारी सीमा रक्षा प्रणालियों पर भी पड़ सकता है। 
 
ईरान-इजराइल युद्ध की आशंका को देखते हुए इसका नकारात्मक असर महंगाई पर भी पड़ सकता है। कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर तक पहुंचने की आशंका व्यक्त की जा रही है। पिछले कुछ दिनों में कच्चे तेल की तेजी के पीछे यही संकट अहम माना जा रहा है। इसका असर महंगाई पर पड़ सकता है। हालांकि चुनाव को देखते हुए अभी पेट्रोल-डीजल की कीमत में तुरंत वृद्धि की संभावना नहीं है। साथ ही कई जरूरी ग्लोबल सप्लाई चेन भी इससे प्रभावित हो सकती है। 
 
इस बीच, जापान, हांगकांग और दक्षिण कोरिया के शेयर बाजारों के सूचकांक धराशायी हो गए। निवेशक इजराइल की जवाबी कार्रवाई पर पैनी नज़र रखे हुए हैं। उनका मानना है कि मध्य पूर्व में इस तरह के संघर्ष से तेल की ग्लोबल सप्लाई पर असर पड़ सकता है। तेजी से बढ़ते भारतीय शेयर बाजार भी इस गिरावट से अछूते नहीं रह पाएंगे जिससे भारतीय इकोनॉमी के 5 ट्रिलियन डॉलर के सपने को झटका लग सकता है। 

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