वी नारायणन ने इसरो प्रमुख के रूप में कामकाज संभाला, सोमनाथ की जगह ली

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

मंगलवार, 14 जनवरी 2025 (12:57 IST)
V Narayanan ISRO chief : वी नारायणन ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाल लिया है। उन्होंने एस सोमनाथ की जगह यह पद संभाला है। 
 
इसरो ने एक बयान में कहा कि प्रतिष्ठित वैज्ञानिक डॉ वी नारायणन ने अंतरिक्ष विभाग के सचिव, अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष और इसरो के अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया। 
 
इससे पहले, नारायणन ने इसरो के लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर (LPSC) के निदेशक के रूप में कार्य किया, जो प्रक्षेपण यानों और अंतरिक्ष यानों की प्रणोदन प्रणालियों के विकास के लिए जिम्मेदार एक प्रमुख केंद्र है।
 
उन्होंने भारत के महत्वाकांक्षी मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन ‘गगनयान’ कार्यक्रम के लिए राष्ट्रीय स्तर के ह्यूमन रेटेड सर्टिफिकेशन बोर्ड (एचआरसीबी) के अध्यक्ष के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वह 1984 में इसरो से जुड़े थे और अपने लगभग 40 वर्ष के कार्यकाल में उन्होंनेभारत के अंतरिक्ष मिशन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
 
नारायणन एक साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), खड़गपुर से उन्होंने क्रायोजेनिक इंजीनियरिंग में एम.टेक और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। एम.टेक पाठ्यक्रम में प्रथम रैंक हासिल करने के लिए रजत पदक से सम्मानित नारायणन को 2018 में आईआईटी खड़गपुर की ओर से ‘डिस्टिंग्विशड एलमनाई अवॉर्ड’ और 2023 में ‘लाइफ फेलोशिप अवॉर्ड’ भी प्रदान किया गया।
 
इसरो में आने से पहले नारायणन ने टीआई डायमंड चेन लिमिटेड, मद्रास रबर फैक्टरी और त्रिची तथा रानीपेट में भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) में कुछ समय तक काम किया।
 
इसरो ने कहा कि जब भारत को जीएसएलवी एमके-ll यानों के लिए क्रायोजेनिक प्रौद्योगिकी देने से मना कर दिया गया, तो उन्होंने इंजन प्रणालियों को डिजाइन किया, आवश्यक सॉफ्टवेयर उपकरण विकसित किए, आवश्यक बुनियादी ढांचे और परीक्षण केंद्रों की स्थापना करने में योगदान दिया।
 
नारायणन ने भारत के चंद्र मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चंद्रयान-दो और तीन के लिए, उन्होंने एल-110 लिक्विड स्टेज, सी25 क्रायोजेनिक स्टेज और प्रणोदन प्रणालियों को तैयार करने वाले कार्यक्रम का नेतृत्व किया, जिससे अंतरिक्ष यान चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचने और सफलतापूर्वक चंद्रमा की सतह पर उतरने में सक्षम हुआ।
 
पीएसएलवी सी57/आदित्य एल1 मिशन के लिए, उन्होंने दूसरे और चौथे चरण, नियंत्रण बिजली संयंत्रों और प्रणोदन प्रणाली को तैयार करने की देखरेख की, जिससे अंतरिक्ष यान को एल1 पर हेलो कक्षा में स्थापित करने में मदद मिली। इतना ही नहीं, इस मिशन के कारण भारत सूर्य का सफलतापूर्वक अध्ययन करने वाला चौथा देश बन गया।
 
उन्होंने वीनस ऑर्बिटर, चंद्रयान-चार और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) जैसे आगामी मिशनों के लिए प्रणोदन प्रणालियों को लेकर किए जा रहे कार्य का मार्गदर्शन किया है। उनका भारतीय राष्ट्रीय अभियांत्रिकी अकादमी, द एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया, एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया और अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों से संबंध रहा है। (भाषा)
edited by : Nrapendra Gupta

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी