PROBA-3 Mission : इसरो (ISRO) ने श्रीहरिकोटा से PSLV-C59/PROBA-3 मिशन को सफलतापूर्वक लांच कर फिर से इतिहास रच दिया है। मिशन की सफलता पर ISRO ने घोषणा की कि PSLV-C59/PROBA-3 मिशन ने अपने प्रक्षेपण लक्ष्यों को सटीकता के साथ पूरा किया। ESA के उपग्रहों को उनकी निर्दिष्ट कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया। ISRO ने इसे PSLV की विश्वसनीयता, NSIL और ISRO के सहयोग तथा ESA के अभिनव प्रयासों का एक आदर्श उदाहरण बताया। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बताया कि प्रक्षेपण के लगभग 18 मिनट बाद दोनों उपग्रहों को बाद में बेल्जियम में ईएसए के वैज्ञानिकों द्वारा वांछित कक्षा में स्थापित किया गया।
सटीक उड़ान से जुड़ी अपनी तरह की पहली पहल के तहत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बृहस्पतिवार को पीएसएलवी-सी59 रॉकेट के जरिए प्रोबा-3 मिशन को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बताया कि प्रक्षेपण के लगभग 18 मिनट बाद दोनों उपग्रहों को सही कक्षा में स्थापित कर दिया गया।
प्रोबा-3 (प्रोजेक्ट फॉर ऑनबोर्ड ऑटोनोमी) में दो उपग्रह हैं, जिनमें दो अंतरिक्ष यान ने एक साथ उड़ान भरी। इसरो की वाणिज्यिक शाखा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) को ईएसए से प्रक्षेपण का ऑर्डर मिला है। मिशन का उद्देश्य सटीक उड़ान का प्रदर्शन करना है और उपग्रहों के अंदर मौजूद दो अंतरिक्ष यान कोरोनाग्राफ (310 किग्रा) और ऑकुल्टर (240 किग्रा) को वांछित कक्षा स्तर पर पहुंचाने के बाद एक साथ स्टैक्ड कॉन्फ़िगरेशन में प्रक्षेपित किया जाएगा।
Kudos Team #ISRO for the successful launch of PSLV-C59/PROBA-3 Mission. With the personal intervention & patronage provided by PM Sh @narendramodi, Team @isro is able to carry one success after the other in a serial manner. Proba-3 is the world's first precision formation flying… pic.twitter.com/kswlD1p3I3
संशोधित उल्टी गिनती के अंत में, 44.5 मीटर लंबा पीएसएलवी-सी59 रॉकेट अपनी 61वीं उड़ान पर तथा पीएसएलवी-एक्सएल संस्करण के साथ 26वीं उड़ान पर यहां अंतरिक्ष केंद्र से पूर्वनिर्धारित समय 4.04 बजे प्रक्षेपित हुआ। अठारह मिनट की उड़ान भरने के बाद, रॉकेट ने दोनों उपग्रहों को इच्छित कक्षा में सफलतापूर्वक अलग कर दिया, जिन्हें बाद में बेल्जियम में ईएसए के वैज्ञानिकों द्वारा वांछित कक्षा में स्थापित किया गया।
योजना के अनुसार उपग्रह उच्च पृथ्वी कक्षा में पहुंच गए और उनकी परिक्रमा अवधि 19.7 किमी होगी, जिसमें 60,530 किमी का अपभू (पृथ्वी से सबसे दूर बिंदु) और 600 किमी का उपभू (पृथ्वी से सबसे निकटतम बिंदु) होगा। ऑकुल्टर अंतरिक्ष यान सूर्य की सौर डिस्क को अवरुद्ध कर देगा, जिससे कोरोनाग्राफ को वैज्ञानिक अवलोकन के लिए सूर्य के कोरोना या आसपास के वातावरण का अध्ययन करने में मदद मिलेगी।
ईएसए ने कहा कि कोरोना सूर्य से भी ज्यादा गर्म है और यहीं से अंतरिक्षीय वातावरण की उत्पत्ति होती है। यह व्यापक वैज्ञानिक और व्यावहारिक रुचि का विषय भी है। इसरो के लिए यह प्रक्षेपण अपने पहले मिशन- आदित्य-एल 1 के बाद सूर्य पर वैज्ञानिक प्रयोग करने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा, जिसे सितंबर 2023 में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया था।
प्रोबा-3 एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन है जिसे जनरल सपोर्ट टेक्नोलॉजी प्रोग्राम के माध्यम से वित्त पोषित किया गया है। उपग्रहों पर लगे उपकरण एक बार में छह घंटे तक सौर परिधि के करीब यात्रा करेंगे और प्रत्येक अंतरिक्ष यान पृथ्वी के चारों ओर लगभग 19 घंटे की परिक्रमा करेगा। (इनपुट एजेंसी)
Edited By : Chetan Gour