डर की यादें और शांति की उम्‍मीद लेकर लौटे, अभी भी दहशतजदा है LoC पर बसे गांवों के लोग

सुरेश एस डुग्गर

मंगलवार, 13 मई 2025 (12:21 IST)
Jammu Kashmir LoC news : सुबह होते ही 58 वर्षीय अब्दुल रहमान खान ने अपना सामान पैक किया और घर की ओर चल पड़े थे। उड़ी के माधन से ताल्लुक रखने वाले खान उन सैकड़ों लोगों में शामिल हैं, जो पाकिस्तान की गोलाबारी से बचकर बारामुल्‍ला में अलग-अलग आश्रय शिविरों में रह रहे हैं। खान और उनका परिवार गोलाबारी से बचने के लिए बारामुल्‍ला के सरकारी महिला कालेज में रह रहे हैं।
 
जब से भारत और पाकिस्तान ने युद्ध विराम पर सहमति जताई है, खान ने अपने होठों पर स्थायी शांति की प्रार्थना के साथ लौटने का फैसला किया। वे कहते हैं कि यह वास्तव में हमारे लिए एक परीक्षा की घड़ी थी। अब हम घर लौट रहे हैं, क्योंकि पुलिस ने हमें बिना फूटे गोले को सफलतापूर्वक नष्ट करने का आश्‍वासन दिया है।
 
खान, जो ग्रामीणों के एक समूह का नेतृत्व कर रहे हैं, अपने सामान के बंडल, डर की यादें और शांति की नई उम्मीद लेकर अपने गांवों में लौट गए हैं। वे कहते हैं कि हमने पिछले तीन दशकों में काफी विनाश देखा है। अब, हम एक स्थायी शांति की उम्मीद करते हैं। युद्धों ने अतीत में कई देशों को नष्ट कर दिया है।
 
याद रहे अधिकारियों ने सोमवार को बारामुल्ला जिले के उड़ी सेक्टर में छह सीमावर्ती गांवों के निवासियों को हाल ही में सीमा पार से हुई गोलाबारी के बाद बिना फूटे गोले के सफल निपटान के बाद अपने घरों में लौटने की अनुमति दी थी।
 
 उड़ी सेक्टर के छह गांवों - कमलकोट, मधान, गौहलान, सलामाबाद (बिजहामा), गंगरहिल और गवाल्टा में सात यूएक्सओ पाए गए और उन्हें सुरक्षित रूप से निपटाया गया।
 
हालांकि घर लौटने वाले ग्रामीणों को क्षतिग्रस्त संपत्ति, कृषि गतिविधि बाधित और भविष्य को लेकर बेचैनी का सामना करना पड़ा, लेकिन कई लोगों ने सतर्क आशावाद व्यक्त किया और नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम को सुनिश्चित करने के लिए कूटनीतिक प्रयासों का आह्वान किया।
 
बालाकोट गांव की निवासी शबनम बेगम कहती थीं हमने पहले कभी ऐसा कुछ नहीं देखा। आधी रात को अपने घरों को छोड़ना डरावना था। लेकिन अब जब हम वापस आ गए हैं, तो हम बस यही चाहते हैं कि शांति बनी रहे ताकि हम अपना जीवन फिर से शुरू कर सकें। दरअसल कुपवाड़ा के केरन और बांदीपोरा के गुरेज में बुधवार रात से ही भारी गोलाबारी का सामना करने के बाद लोग भाग गए थे।
 
करनाह के निवासी फैयाज करनाही के बकौल, आखिरकार निवासी घर लौट रहे हैं। शांति का माहौल है और लोग बचकर राहत महसूस कर रहे हैं, लेकिन अपने घरों और सामानों के नष्ट होने पर दुख भी है। प्रभावित परिवारों ने सरकार से अपील की है कि गोलाबारी से प्रभावित लोगों का पुनर्वास शुरू किया जाए और सुनिश्चित किया जाए कि सरकारी सहायता से उनके घरों का पुनर्निर्माण किया जाए।
 
टंगधार के निवासी सजाद अहमद भट कहते थे कि यह हमारे लिए आपदा से भी बढ़कर था। हम सरकार से राहत चाहते हैं ताकि हम शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए अपने घरों का पुनर्निर्माण कर सकें।
edited by : Nrapendra Gupta 

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