janmashtami 2024 : देशभर में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया गया। घड़ी में रात के 12 बजते ही मंदिरों में घंटियों की मधुर ध्वनियां और जयकारे गुंजने लगे। मथुरा-वृंदावन, द्वारकाधीश मंदिर, जगन्नाथ पुरी के साथ ही देश की राजधानी दिल्ली के मंदिर भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव मनाया गया। भक्तों ने अपने प्यारे कृष्ण की छवि को खूब निहारा।
उमड़ पड़ा सैलाब : मथुरा- वृंदावन के घर-घर में लोगों ने उपवास रखकर लाला (श्रीकृष्ण) के जन्म की तैयारियां कीं। जन्माष्टमी के अवसर पर लाखों-करोड़ों हिन्दुओं के आराध्य भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा के विभिन्न मंदिरों में सोमवार को जनसैलाब उमड़ पड़ा। शहर के उत्तरी भाग में स्थित श्रीकृष्ण जन्मस्थान की ओर जाने वाले हर मार्ग पर लोगों के सिर्फ सिर-सिर ही नजर आए। एक के पीछे एक श्रीकृष्ण के दीवानों का टोला मंदिर परिसर की ओर बढ़ता नजर आ रहा था।
प्रशासन के कड़े इंतजाम : जिला प्रशासन ने भी ब्रज तीर्थ विकास परिषद एवं राज्य के पर्यटन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में कान्हा के 5251वें जन्म महोत्सव को अद्वितीय व भव्य बनाने के हरसंभव प्रयास किए ग'। मथुरा आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बहुत बड़े पैमाने पर इंताजामात किए गए हैं।
सादी वर्दी में पुलिसकर्मी : इन सबके बीच पुलिस प्रशासन ने सभी तीर्थयात्रियों एवं स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त किए। श्रीकृष्ण जन्मस्थान व उसके आसपास के क्षेत्रों सहित मथुरा की सड़कों व गलियों तक में चप्पे-चप्पे पर पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई। इसके अलावा सादी वर्दी में तैनात खुफिया पुलिस के दस्ते जगह-जगह तलाशी अभियान चलाकर औचक निरीक्षण कर रहे थे।
बारिश नहीं बनी बाधा : कन्हैया के भक्तों का उत्साह ऐसा था कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर में प्रवेश करने के लिए देर रात से ही लोगों ने उत्तरी द्वार पर लग रही कतारों में अपनी जगह सुनिश्चित करना शुरु कर दिया था। उनकी यह ललक देर शाम तक बनी रही। यहां तक कि जब कई बार रुक-रुक बारिश हुई, तब भी जन्मस्थान की ओर जा रही सड़कों पर भीड़ में कहीं कमी नहीं हुई।
श्रद्धालु लगातार मंदिर की ओर बढ़ते ही रहे। इसीलिए श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के प्रबंधकों ने अन्य दिनों में 12 घंटे के स्थान पर आज सुबह साढ़े पांच बजे से रात डेढ़ बजे तक मंदिर में प्रवेश की छूट दे दी थी। जिसका लाखों लोगों ने लाभ भी उठाया।
कला का प्रदर्शन : शहर की 20 प्रमुख सड़कों व चौराहों पर दो दर्जन से अधिक स्थानों पर मंच बनाकर स्थानीय सहित विभिन्न राज्यों से आए लोक कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बने श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर में स्थित ठाकुर केशवदेव मंदिर, गर्भगृह मंदिर तथा भागवत भवन आदि को इस प्रकार से सजाया गया था कि जैसे द्वापरकालीन शौरसेन जनपद की राजधानी मधुपुरी (तब मथुरा को इसी नाम से जाना जाता था) एक बार फिर साकार हो उठी हो।
पटना में भगदड़ की स्थिति : बिहार की राजधानी पटना शहर स्थित इस्कॉन मंदिर में सोमवार को जन्माष्टमी पर्व के अवसर पर भक्तों की भारी भीड़ के कारण भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई। पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) राजीव मिश्रा ने संवाददाताओं से बातचीत में कुछ श्रद्धालुओं के मामूली रूप से चोटिल होने की आशंका जताई, जबकि पुलिस ने स्थिति पर शीघ्र नियंत्रण पा लिया।
मिश्रा ने कहा कि जन्माष्टमी पर्व के अवसर पर सोमवार की शाम इस्कॉन मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। पर्याप्त संख्या में सुरक्षाकर्मी पहले से ही तैनात किए गए थे... लेकिन जब श्रद्धालुओं के कारण स्थिति अराजक हो गई तो हमने तुरंत और अधिक कर्मियों को तैनात करने का फैसला किया।”
उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं ने मंदिर तक पहुंचने के लिए एक-दूसरे से आगे निकलने की कोशिश की जिससे सुरक्षाकर्मियों को काफी परेशानी हुई, लेकिन स्थिति पर तुरंत काबू पा लिया गया। मिश्रा ने कहा कि यह पूर्ण भगदड़ की स्थिति नहीं थी और भीड़ नियंत्रण में है तथा श्रद्धालुओं को एक-एक कर मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा है।
क्या कहती हैं पौराणिक कथाएं : पुरातात्विक साक्ष्यों एवं पौराणिक कथानकों के अनुसार माना जाता है कि द्वापर युग में केशोपुरा के इसी टीले पर (जहां वर्तमान में श्रीकृष्ण जन्मस्थान अवस्थित है) ही तत्कालीन मथुरा नरेश कंस का कारागार रहा होगा और उसने अपनी ममेरी बहिन देवकी व उसके पति वसुदेव को उसी कारागार में बंधक बनाकर रखा होगा। इसी कारागार में देवकी के आठवें पुत्र वासुदेव (कृष्ण) का जन्म हुआ।