भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा की आज पार्टी के पूर्णकालिक अध्यक्ष के तौर पर ताजपोशी हो जाएगी। दिल्ली में पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में आज पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह समेत पार्टी के दिग्गज नेताओं की उपस्थिति में जेपी नड्डा को पार्टी का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया जाएगा और बकायदा उनके नाम का एलान भी हो जाएगा।
पार्टी के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के मोदी सरकार में सबसे पॉवफुल मंत्री बनने के बाद जुलाई 2019 में नड्डा को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था। कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद ही यह तय हो गया था कि जेपी नड्डा ही शाह के उत्तराधिकारी होंगे और अब उनके हाथ में ही भाजपा की पूरी बागडोर होगी।
साल 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद और नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद जुलाई 2014 में अमित शाह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए थे। उसके बाद लगातार दो कार्यकाल तक अमित पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे जिनका कार्यकाल पिछले वर्ष जनवरी में ही पूरा हो गया लेकिन लोकसभा चुनाव के चलते अमित शाह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहे । अमित शाह के नेतृत्व में भाजपा ने जो स्वर्णिम सफलता दर्ज की उसको आगे बनाए रखना नए अध्यक्ष जेपी नड्डा के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगा।
जेपी नड्डा के भाजपा अध्यक्ष पद पर ताजपोशी पर वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक गिरिजाशंकर कहते हैं कि ये सब पहले से ही तय था और चुनाव की प्रकिया केवल दिखावा मात्र है। वह कहते हैं कि भाजपा के नए अध्यक्ष चुनने की प्रकिया में कुछ भी लोकतंत्रिक नजर नहीं आ रहा। वह कहते हैं कि एक तरह से भाजपा अध्यक्ष पद पर जेपी नड्डा का चुनाव न होकर एक तरह से मनोयन हो रहा है और अब यह देखना होगा कि जेपी नड्डा अमित शाह फैक्टर से कितना मुक्त हो पाते है और उनको स्वतंत्र होकर पार्टी को चलाने के कितनी आजादी मिल पाती है। गिरिजाशंकर कहते हैं जेपी नड्डा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना मोदी-शाह की ताकत को दिखाता है और अब देखना होगा कि जेपी नड्डा रबर स्टैंप की तरह काम करते हैं या स्वतंत्र होकर निर्णय लेते है।
कांग्रेस की राह पर भाजपा – भाजपा के नए अध्यक्ष के चुनाव की पूरी प्रकिया पर सवाल उठाते हुए वरिष्ठ पत्रकार गिरिजाशंकर कहते हैं कि नए अध्यक्ष के चुनाव की जो प्रकिया की जा रही है वह मात्र दिखावा है। वह कहते हैं कि जिस तरह से अमित शाह के उत्तराधिकारी के तौर पर नड्डा की ताजपोशी हो रही है उससे तो यहीं लगता है कि उत्तराधिकारी की जो शिकार कांग्रेस थी वह अब भाजपा हो गई है। गिरिजाशंकर महत्वपूर्ण बात कहते हैं कि भाजपा में नए अध्यक्ष के चुनाव एक तरह से यममैन का चुनाव करने जैसा हो गया है और इसको किसी भी नजरिए से लोकतंत्रिक प्रक्रिया नहीं माना जा सकता है। वह कहते हैं कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को इस बात पर आपत्ति लेनी चाहिए थी कि पार्टी लोकतंत्रिक तरीके से नए अध्यक्ष का चुनाव करें।