यूं सिंगल पेरेंट होना ही अपने आप में मुश्किल काम है, मगर सिंगल मदर्स के लिए यह काफी चुनौतीपूर्ण है। बच्चों के साथ खुद की देखरेख करना आसान नहीं है। ...और जब आप काम के लिए बाहर कदम रखते हैं तो मुश्किलें और बढ़ जाती हैं।
फिल्म 'तेरा मोह' में सिंगल मदर्स की भूमिका निभा रहीं हिन्दी और मराठी फिल्मों की अभिनेत्री कीर्ति अडारकर कहती हैं कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वे फिल्मों में काम करेंगी, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। मैं सामाजिक गतिविधियों से जुड़ी थी, मराठी नाटकों में भी मैंने काम किया था। इसके लिए मुझे राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला।
मेरे पति मजाक में कहा करते थे कि काम 24 घंटे करती हो और इनकम नाम पर कुछ भी नहीं है। हालांकि यह सब मैंने हॉवी के लिए ही किया था, लेकिन सीखी हुई चीजों का फायदा जीवन में जरूर मिलता है। पुरस्कार मिलने के बाद मुझे फिल्मों के ऑफर भी मिले, लेकिन मैंने इंकार कर दिया।
जीवन में एक मोड़ ऐसा भी आया जब मैंने खुद को ऐसे दोराहे पर पाया, जहां मुझे फैसला करना था कि आखिर मुझे करना क्या है। चूंकि मैं लंबे समय से मेडिटेशन कर रही हूं, एक दिन ध्यान के दौरान अहसास हुआ कि मुझे एक्टिंग ही करनी है। मेरे इस फैसले में मेरी फेमिली ने भी पूरा सपोर्ट किया।
इसी सिलसिले में मैं एक ऑडीशन देकर भूल गई। फिर अचानक मुझे एक अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट ‘रिवेलियस फ्लॉवर’ का ऑफर मिला। यह महान दार्शनिक ओशो रजनीश पर केन्द्रित फिल्म थी। इस फिल्म में मुझे ओशो की नानी का रोल मिला, जिसे वे सबसे अधिक प्यार करते थे।
बस, यहीं से मेरा एक्टिंग का सफर शुरू हो गया। इसके बाद मैंने अकीरा, नीरज, बार-बार देखो, भिकारी, मराठी फिल्म वेंटीलेटर में काम किया। वेंटीलेटर को राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है। फिल्म 'तेरा मोह' एक चतुष्कोणीय प्रेमकथा है। इसमें कीर्ति नायक की मां का रोल कर रही हैं, जो सिंगल मदर हैं। कीर्ति कई विज्ञापनों में काम कर चुकी हैं, जबकि कई अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट भी उनके पास हैं।
कीर्ति किन्नरों पर केन्द्रित एक ऑस्ट्रेलियन प्रोजेक्ट में भी काम कर चुकी हैं। इसमें फिल्म एक ऐसी मां की पीड़ा और मनोदशा को दिखाया गया है, जिसे बाद में पता चलता है कि उसका बेटा किन्नर है। वह सोचती है कि इसमें उसका क्या दोष है, उसने तो एक बेटे को जन्म दिया है। इस फिल्म को मेलबोर्न में पुरस्कार भी मिल चुका है।