दुर्घटनास्थल पर यहां-वहां पड़े बैग, कॉपी, किताबें और टिफिन बॉक्स इस बात की तस्दीक कर रहे थे कि हादसा किस कदर भयावह रहा होगा। रेल क्रॉसिंग के इर्द-गिर्द पड़े खून की छींटे और खस्ताहाल बस के अवशेष दुर्घटना स्थल की विकृत तस्वीर बयां करने के लिए काफी थे।
इस हादसे में मिश्रौली गांव के प्रधान अमरजीत सिंह के दो लडके और एक बेटी की मृत्यु हो गई। रो-रो कर बेहाल अमरजीत ने कहा कि विश्वास नहीं होता कि मेरे लाड़ले संतोष, रवि और रागिनी अब इस दुनिया में नहीं हैं। तीनों भाई-बहन पढ़ने में अव्वल थे। घर की रौनक थे मेरे लाड़ले। अब जीने का मकसद ही नहीं रह गया, जिसके लिए जी रहे थे वही नहीं रहे।
यही स्थिति कोकिल पटटी निवासी नौशाद की है जिसके दो होनहार बेटे अतीउल्लाह और गोल्डन इस दुर्घटना में उनसे हमेशा के लिए बिछड़ गए। बच्चों के शव देखते ही मां बेहोश हो गई जिसे पड़ोसी संभालने की कोशिश कर रहे थे। ग्रामीणों ने बताया कि नौशाद के बच्चे होनहार और मिलनसार थे। वे पूरे गांव के लाड़ले थे। गांव का हर शख्स उन्हें बेहद प्यार करता था।
जिंदगी का सहारा हमसे बिछड़ गया। अब जीने की कोई तमन्ना नहीं है। अल्लाह हमें भी इस दुनिया से रुखसत करे। इसके अलावा मनोज (8) और मुस्कान (7) भाई बहन हैं जो महिराणा के निवासी हैं। मृत बच्चों में हरिओम (8), अरशद (9), अनस (8) और गोलू भी शामिल हैं।