अटल बिहारी वाजपेयी एक ऐसे नेता और देश के प्रधानमंत्री थे, जिन्हें विपक्ष भी प्यार करता था और उनका मुरीद था। वे अपने तेज तर्रार भाषण और भाषण के बीच लंबे अंतराल यानी पॉजेस के लिए भी जाने जाते थे। कमाल तो यह था कि जब वाजपेयी बोलते थे और बोलते हुए रूककर पॉज लेते थे तो उनके इस पॉज की खामोशी को भी उन्हें सुनने वाले लोग तोड़ते नहीं थे। एक माहिर राजनेता और एक संवेदनशील कवि, यह दोनों छवियां या यूं कहें कि व्यक्तित्व अटलजी में मौजूद थीं।
अटल राजनीति : संसद भवन हो या अपनी भगवा पार्टी भाजपा का कोई राजनीतिक मंच। उनके तर्कों की ऐसी बिजली कौंधती थी कि उसकी चमक और गूंज देर तक मानस में गूंजती रहती थी। जो बात राजनीतिक तर्क से लोगों के दिमाग में नहीं पहुंचती थी, उसे अटल जी कविता से लोगों के दिल में उतार देते थे। आज भी अटल जी के भाषण हो या उनकी कोई वीर रस की कविता यूट्यूब से सबसे ज्यादा देखी जाती है।
अटल भविष्यवक्ता : आज के परिदृश्य में अटल बिहारी वाजपेयी को एक राजनीतिक भविष्यवक्ता के तौर पर भी देखा जाता है। एक वोट से सरकार गिर जाने के बाद दिए गए अपने भाषण में अटल जी ने कांग्रेस को जवाब देते हुए कहा था, आज आप हमारा उपहास उड़ा लें, लेकिन एक वक्त आएगा जब लोग आपका उपहास उड़ाएंगे और एक दिन पूरे देश में कमल खिलेगा
आज भाजपा जिस तरह से देश के ज्यादातर राज्यों में शासन कर रही है, यह स्थिति अटलजी की भविष्यवाणी को सिद्ध करती है।
अटल कवि : एक सिद्ध राजनीतिक के तौर पर तो अटलजी की छवि जगजाहिर है, लेकिन उनके भीतर कविताएं भी गूंजती थी। उन्होंने कई कविताएं लिखीं। जिसमें उनकी एक पुस्तक मेरी इक्यावन कविताएं आज भी बहुत लोकप्रिय वे कवि ह्दय तो थे ही, लेकिन एक संवेदनशील इंसान भी थे। जाहिर है, उन्हें किसी दिन प्रेम भी होना ही था। जब एक इंटरव्यू में उनसे पूछा गया कि क्या आप ब्रह्मचारी हैं। तो उन्होंने जवाब दिया था, मैं अविवाहित हूं, लेकिन कुआंरा नहीं
इस बयान के पीछे संभवत: उनकी कोई प्रेम कहानी छिपी हुई हो। दरअसल, राजकुमारी कौल के साथ उनके संबंधों की चर्चा होती रही है।
अटल प्रेम : कहा जाता है कि राजकुमारी कौल और अटल बहारी वाजपेयी 1941 के दौरान ग्वालियर में साथ पढ़ा करते थे। यहीं उनकी मुलाकाल हुई। लेकिन अटलजी अपने राजनीतिक कॅरियर में व्यस्त हो गए और राजकुमारी कौल की भी शादी हो गई। लेकिन बाद में लंबे समय तक दोनों की मुलाकातें होती रहीं। अटल जी पर प्रकाशित किताबों के मुताबिक दोनों के बीच बहुत गहरा बौद्धिक रिश्ता था।
अटलजी की हाईकमान : भाजपा में या संघ में अटल बिहारी वाजपेयी एक तरह से हाईकमान ही थे, लेकिन उन्होंने अपनी हाईकमान राजकुमारी कौल को बना रखा था। कहा जाता है कि अटल जी अक्सर राजकुमारी कौल को हाईकमान कहते थे। इसके बारे में एक किस्सा मशहूर है कि एक अखबार के पत्रकार जब उनके इंटरव्यू के लिए घर पहुंचा तो अटल जी ने उससे पूछा कि क्या आपने हाईकमान से अनुमति ले ली। हाईकमान से उनका मतलब राजकुमारी कौल से था। माना जाता है कि कौल मैडम अटलजी के मीडिया से साक्षात्कार आदि का काम देखती थी।
अटल बिहारी वाजपेयी और राजकुमारी कौल के इस रिश्ते का हालांकि कोई नाम नहीं था। लेकिन इससे अटल जी का सियासी सफर प्रभावित हो रहा था। जिस पर कहा जाता है कि आरएसएस को काफी ऐतराज था। कई बार बैठकों में इसे लेकर चर्चा भी हुई और संघ की तरफ से या फिर दूसरे माध्यमों की मदद से उन्हें इस रिश्ते को खत्म करने के लिए समझाया भी गया। यहां तक कि उन्हें राजकुमारी कौल से शादी करने के लिए भी कहा गया। कहा जाता है कि अटल जी ने रिश्ता तोड़ने से साफ इनकार कर दिया था।