(दांडी मार्च को हुए 91 साल पूरे, जानिए कैसे टूटा था यह कानून)
देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने देश हित के लिए कई ठोस निर्णय लिए थे। देश की आजादी के लिए अंग्रेजों से लड़ाई भी लड़ी। इसी बीच अंग्रेजों द्वारा नमक कानून बनाया गया था, जिसे तोड़ने के लिए महात्मा गांधी ने दांडी तक पैदल यात्रा निकाली थी।
12 मार्च, 1930 को दांडी यात्रा शुरू हुई थी। इसे नमक कानून तोड़ों आंदोलन भी कहते हैं। इस दौरान उनके साथ करीब 78 स्वयंसेवक भी जुड़े थे। जब गांधी जी ने इसकी शुरूआत की थी तब आलम यह था कि वह अकेले चले थे, इसके बाद लोग जुड़ते गए और कारवां बढ़ता गया।
ऐसे शुरू हुई थी यात्रा और तोड़ा था नमक कानून
महात्मा गांधी ने मार्च 1930 में इसकी शुरूआत की थी। अहमदाबाद में स्थित साबरमती आश्रम से इसकी शुरूआत हुई। 24 दिन तक यह यात्रा चली थी। हालांकि सिर्फ 24 दिन में ही गांधी जी और आंदोलनकारियों द्वारा करीब 358 किलो मीटर का सफर तय किया गया था। यह यात्रा 6 अप्रैल 1930 को खत्म हुई थी। 6 अप्रैल को दांडी पहुंचकर गांधी जी ने सुबह 6:30 बजे नमक कानून को तोड़ा था।
देश के अन्य क्षेत्रों में भी छिड़ी थी मुहिम
नमक कानून, दांडी क्षेत्र के साथ देश के अन्य क्षेत्रों में भी तोड़ा गया था। सी.राजगोपालचारी ने ित्रचनापल्ली से वेदारमण्य तक की यात्रा की थी। असम में सिलहट से नोआखली तक यात्रा की गई। कालीकट से पयान्नूर तक की यात्रा की गई। इन सभी लोगों ने अपने- अपने क्षेत्र में नमक को हाथ में लेकर तोड़ा था। अंग्रेजी हुकूमत द्वारा नमक पर लगातार कर बढ़ाया जा रहा था, आमजन के लिए यह परेशानी बन रही थी, क्योंकि वे उसे खरीद नहीं पा रहे थे। उस वक्त भारतवासियों को नमक बनाने का अधिकार नहीं था। विदेशों से आ रहे नमक के भाव आमजन के लिए बहुत अधिक थे।
दांडी यात्रा को आज 91 साल पूरे हो गए हैं। गांधी जी ने नमक हाथ में लेकर कहा था कि, ''इसके साथ मैं ब्रिटिश साम्राज्य की नींव को हिला रहा हूं।'' इस मौके पर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साबरमती आश्रम पहुंचकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की। वहां मौजूद विजिटर बुक में एक संदेश भी लिखा।