खरगे बोले, पीएम की पिक्चर कैसी होने वाली है, इसका अंदाजा लग गया है

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

सोमवार, 1 जुलाई 2024 (16:37 IST)
Mallikarjun Kharge:  कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) ने लोकसभा चुनाव के दौरान पिछले 10 साल के शासन को महज 'ट्रेलर और पिक्चर अभी बाकी है' बताने वाले बयान के लिए सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) पर निशाना साधा। उनके तीसरे कार्यकाल में पेपर लीक, जम्मू एवं कश्मीर में आतंकी हमले, ट्रेन दुर्घटना, हवाई अड्डों की छत के कुछ हिस्सों के ढहने और पुल गिरने की विभिन्न घटनाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इनसे अंदाजा लग गया है कि उनकी आगे की पिक्चर कैसी होने वाली है।
 
राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए विपक्ष के नेता खरगे ने कहा कि प्रधानमंत्री ने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान कई बार कहा है कि पिछले 10 साल तो बस ट्रेलर थे, अभी असली तस्वीर बाकी है। खरगे ने चुटकी लेते हुए कहा कि अब पीएम की पिक्चर कैसी होने वाली है, पिछले एक महीने में अंदाजा लगा है।

ALSO READ: संसद में फिर हंगामे के आसार, NEET समेत इन मुद्दों पर हो सकती है जोरदार बहस
 
हाल की कई घटनाओं का उल्लेख करते हुए खरगे ने बताया कि पिछले एक महीने में परीक्षा पेपर लीक, कई परीक्षाओं को रद्द करने, ट्रेन दुर्घटनाएं, जम्मू एवं कश्मीर में तीन आतंकी हमले, राम मंदिर में पानी का रिसाव, तीन हवाई अड्डों की छतों के कुछ हिस्सों का गिरना, टोल टैक्स में वृद्धि और रुपए में ऐतिहासिक गिरावट की घटनाएं हुई हैं।
 
30 लाख छात्रों का भविष्य प्रभावित हुआ : उन्होंने कहा कि हाल ही में पेपर लीक के कारण 30 लाख छात्रों का भविष्य प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता रहा तो छात्र अपनी पढ़ाई बंद कर देंगे। खरगे ने कहा कि पिछले 7 वर्षों में, 70 बार पेपर लीक हुए हैं और इनसे 2 करोड़ छात्रों का भविष्य प्रभावित हुआ है।

ALSO READ: राहुल गांधी ने संसद में भगवान शंकर की तस्वीर दिखाई, मोदी सरकार पर जमकर बरसे
 
उच्च सदन में विपक्ष के नेता ने कहा कि सरकार इस मामले पर कुछ नहीं कर रही है और संसद में इस मुद्दे को उठाने के लिए विपक्षी दलों को दोषी ठहराती है। उन्होंने सरकार से देश में परीक्षा प्रणाली में सुधार करने को कहा। पिछले सप्ताह संसद के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर निराशा व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि भाषण में मणिपुर की स्थिति का कोई उल्लेख नहीं किया गया। खरगे ने कहा कि प्रधानमंत्री मणिपुर का दौरा नहीं कर रहे हैं जो पिछले एक साल से जल रहा है।
 
राष्ट्रपति के अभिभाषण को घोर निराशाजनक और केवल सरकार की तारीफों के पुल बांधने वाला करार देते हुए उन्होंने कहा कि इसमें न तो कोई दिशा है और न ही कोई दृष्टि है। खरगे ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) परीक्षा की जांच उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच, जाति आधारित जनगणना कराने और अग्निवीर योजना को रद्द करने की मांग की।
 
उन्होंने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर सिर्फ नारेबाजी करने और ठोस काम न करने के साथ ही संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने का भी आरोप लगाया और लोकसभा चुनाव के नतीजों का उल्लेख करते हुए कहा कि चुनावों में देश का संविधान और जनता सब पर भारी रहे और इसने संदेश दिया कि लोकतंत्र में अहंकारी ताकतों को कोई जगह नहीं है।

ALSO READ: संसद में सेंगोल को लेकर छिड़ा सियासी संग्राम, भाजपा और विपक्षी दलों में वाकयुद्ध
 
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण की विषय-वस्तु सरकारी होती है। सरकारी पक्ष को इसे दृष्टि पत्र बनाना था और यह बताना था कि चुनौतियों से कैसे निपटेंगे लेकिन उसमें ऐसा कुछ नहीं है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पहले अभिभाषण का जिक्र करते हुए खरगे ने कहा कि वह चुनावी था और दूसरा उसी की प्रति जैसा है।
 
उन्होंने कहा कि इसमें न कोई दिशा है, न ही कोई दृष्टि है। हमें भरोसा था कि राष्ट्रपति संविधान और लोकतंत्र की चुनौतियों पर कुछ बातें जरूर रखेंगी, सबसे कमजोर तबकों के लिए कुछ ठोस संदेश देगी लेकिन हमें घोर निराशा हुई कि इसमें गरीबों, दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के लिए कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि पिछली बार की तरह यह केवल तारीफों के पुल बांधने वाला अभिभाषण है।
 
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अभिभाषण में बुनियादी मुद्दों को नजर अंदाज किया गया है और विफलताओं को छुपाया गया है, जिसमें यह सरकार माहिर है। राष्ट्रपति के अभिभाषण में सबको साथ लेकर चलने की बात का जिक्र करते हुए खरगे ने कहा कि इस भाव से किसी को इनकार नहीं हो सकता लेकिन 10 साल का विपक्ष का तजुर्बा यह है कि यह बातें भाषणों तक ही सीमित रही है और इनका जमीन पर अमल नहीं हुआ बल्कि उल्टा हुआ।
 
उन्होंने कहा कि प्रजातंत्र में प्रजा ही मालिक है। देश के इतिहास में यह पहला चुनाव था, जिसमें संविधान की रक्षा मुद्दा बना। भाजपा ने 400 पार का नारा दिया और उसके कई नेताओं ने तो यहां तक कहा कि भाजपा संविधान बदलेगी। खरगे ने कहा कि इस वजह से इंडिया गठबंधन को संविधान बचाने की मुहिम चलानी पड़ी।
 
उन्होंने कहा कि जनता ने यह महसूस किया कि बाकी मसले आते जाते रहेंगे पर संविधान बचेगा तभी लोकतंत्र रहेगा और चुनाव भी होंगे और तभी हम और आप यहां बैठेंगे। इस लड़ाई में नागरिकों ने विपक्ष का साथ दिया। गरीबों, किसानों, मजदूरों, पीड़ितों, शोषितों और महिलाओं ने हमारा सबका साथ दिया और लोकतंत्र को बचाने का बचाने का बहुत बड़ा काम किया। उन्होंने आरोप लगाया कि अब भी सामाजिक न्याय के विपरीत मानसिकता वाले लोग देश में मौजूद हैं और यह लड़ाई तभी पूरी होगी जब ऐसी विचारधारा को उखाड़ फेंका जाए।
 
उन्होंने कहा कि इसके लिए हम सबको भी मेहनत करनी पड़ेगी। इस चुनाव की एक खूबी यह भी है कि जनादेश के डर से सत्ताधारी दल के लोग संविधान का जप कर रहे हैं। ऐसे लोग भी हैं जिनको संसद में जय संविधान के नारे पर भी आपत्ति है। ऐसे लोग भी सदन में हैं, ऐसी पार्टी भी सदन में है। इसीलिए संविधान की रक्षा का मसला अभी भी कायम है।
 
लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुछ भाषणों का उल्लेख करते हुए नेता प्रतिपक्ष ने उन पर समाज को बांटने का आरोप लगाया और दावा किया कि देश के किसी भी प्रधानमंत्री ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने कहा कि आज यदि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जैसे नेता होते तो चुनावों में मंगलसूत्र, मुजरा और भैंस चुराने जैसी बातें नहीं होती।
 
भाजपा पर जनता के जरूरी मुद्दों से ध्यान भटकाने का आरोप लगाते हुए खरगे ने कहा कि हम किसानों की बात करते हैं तो मोदी जी भैंस खोलने की बात करते हैं। हम देश को बांटने की भाजपा की सोच पर बात करते हैं तो मोदी जी औरंगजेब और मुगल को याद करते हैं। हम बेरोजगारी और पेपर लीक की बात करते हैं तो मोदी जी मंगलसूत्र और मु। याद करते हैं। हम महंगाई पर बात करते हैं तो भाजपा विदेश में महंगाई के बात करने लगती है।
 
उन्होंने कहा कि बात-बात में असत्य बोलना, तोड़-मरोड़ कर बातें रखना, धर्म, जाति और भाषा के नाम पर लोगों में लोगों को बांटने का काम प्रधानमंत्री के स्तर पर पहली बार हुआ है। पहले के किसी भी प्रधानमंत्री ने ऐसा नहीं किया। विभिन्न अंतरराष्ट्रीय अखबारों की कुछ खबरों का जिक्र करते हुए खरगे ने कहा कि इससे पूरे विश्व में हमारी साख पर पर बुरा असर हुआ।
 
उन्होंने कहा कि कुर्सी कायम रहती है, सत्ता आती और जाती रहती है पर सत्ता के लालच में देश को बांटना, जनता को गुमराह करना और बात-बात पर झूठ बोलने की बात नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार के 77 दिनों में कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग को 117 शिकायतें कीं, जिनमें से 14 शिकायतें प्रधानमंत्री के खिलाफ थे लेकिन इन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
 
खरगे ने बीते एक दशक में संसदीय संस्थाओं और लोकतांत्रिक परंपराओं को लगातार कमजोर किया गया और विपक्ष को नजर अंदाज किया गया है और यहां तक कि संसद में विपक्ष को अपनी बातें रखने के लिए लगातार संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने कहा कि क्योंकि इनकी सोच में ऐसी संसद थी जिसमें कोई विपक्ष न हो। ऐसी सोच नहीं होती तो 17वीं लोकसभा में पहली बार उपाध्यक्ष का पद खाली नहीं रहता। उन्होंने दावा किया कि संविधान के तहत हम सब कुछ काम करते हैं लेकिन भाजपा इसके विपरीत करती है।
 
उन्होंने कहा कि इसी राज्यसभा में प्रधानमंत्री ने छाती ठोक कर विपक्ष को ललकारते हुए कहा था कि एक अकेला सब पर भारी। लेकिन मैं यह पूछना चाहता हूं एक अकेले पर आज कितने लोग भारी हैं, चुनावी नतीजे ने दिखा दिया है। दिखा दिया है कि देश का संविधान और देश की जनता सब पर भारी है। लोकतंत्र में अहंकारी ताकतों को जगह नहीं है।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी