उन्होंने कहा कि पिछले 5-6 वर्षों से संघर्ष विराम का लगातार उल्लंघन हो रहा है तथा आंकड़े देख लीजिए। अंतर सिर्फ इतना है कि अब हम उन्हें करारा जवाब देते हैं। सुरक्षा में चूक के सवाल पर पर्रिकर ने कहा कि आप कुछ काम करते हैं और अगर इसमें चूक होती है तो गलतियों को सुधारा जाना चाहिए। लक्षित हमलों के बारे में उन्होंने कहा कि इनकी वजह से राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर भारतीय और भी ज्यादा संवेदनशील हो गए हैं।
पर्रिकर ने किसी का भी नाम लिए बगैर कहा कि जिस दिन हमले किए गए उस दिन से लेकर आज तक कुछ राजनेता इसका सबूत मांग रहे हैं। पर्रिकर ने आगे कहा कि जब भारतीय सेना कुछ कहती है तो हमें उस पर विश्वास करना चाहिए। हमारी सेना दुनिया में सर्वश्रेष्ठ, पेशेवर, साहसी और सत्यनिष्ठ है। मुझे नहीं लगता कि यहां अहमदाबाद में उनसे (सेना से) कोई सबूत मांगेगा।
यहां निरमा विश्वविद्यालय में 'नो माई आर्मी' (मेरी सेना को जानें) नाम के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि लक्षित हमलों के बाद दो अच्छी बातें हुई हैं। पहली, कुछ राजनेताओं को छोड़ दिया जाए तो सभी भारतीय एक स्वर में बोल रहे हैं और हमारे बहादुर सैनिकों के समर्थन में खड़े हैं। दूसरी, बेहद प्रभावी ढंग से राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर हम (भारतीय) संवदेनशील हो गए हैं। इस तरह के कार्यक्रम के आयोजन के लिए पर्रिकर ने विश्वविद्यालय की प्रशंसा की और सेना में शामिल होने के लिए युवाओं का आह्वान किया।
बाद में बातचीत में पर्रिकर ने कहा कि एक बात तो साफ है और वह यह कि उनकी सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर गंभीर है। गुजरात की पाकिस्तान से लगने वाली सीमा से देश में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले लोगों के मुद्दे पर पर्रिकर ने कहा कि बीएसएफ सीमा पर सुरक्षा को और कड़ी कर रहा है। आप जानते हैं कि यह इलाका दलदली है, जहां हम बाड़ नहीं लगा सकते लेकिन हम तकनीक के इस्तेमाल के जरिए इस कमी को पूरा करेंगे ताकि हमारे इलाके में कोई भी अनधिकृत व्यक्ति प्रवेश न कर सके। (भाषा)