पीठ ने कहा कि किसी व्यक्ति द्वारा इस तरह के बलिदान को बड़े रूप से समाज द्वारा याद रखा जाता है। आपने प्राण न्योछावर किए, इसलिए आप शहीद हैं, किसी से किसी अन्य मान्यता की जरूरत नहीं है। अदालत ने यह मौखिक टिप्पणी एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान की जिसमें सेना, नौसेना और वायुसेना की तरह ड्यूटी करते हुए बलिदान देने वाले अर्धसैनिक बल और पुलिस के जवानों के लिए ‘शहीद’ के दर्जे की मांग की गई थी।
पीठ ने कहा कि सरकार के अनुसार, तीनों सेनाओं में ‘शहीद’ शब्द का कहीं प्रयोग नहीं हुआ है और रक्षा मंत्रालय द्वारा ड्यूटी करते हुए मारे गए सदस्यों को शहीद घोषित करने के लिए ऐसा कोई आदेश, अधिसूचना नहीं है। (भाषा)