गुजरात के अहमदाबाद में व्याख्यान देते हुए भागवत ने कहा कि जो राजनीतिक दल सत्ता में नहीं हैं, वे भी आंदोलन कर रहे हैं। भागवत ने कहा कि ऐशो-आराम में बढ़ोतरी के बावजूद हर कोई नाखुश है और आंदोलन कर रहा है। चाहे वह मालिक हो या नौकर, विपक्षी दल हो या आम आदमी, छात्र हो या शिक्षक, हर कोई नाखुश और असंतुष्ट है।
संघ प्रमुख 'वर्तमान विश्व परिदृश्य में भारत की भूमिका' विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत को धर्म (ज्ञान) देना है, ताकि ज्ञान फैले लेकिन मनुष्य रोबोट न बने। हमने हमेशा वैश्विक परिवार की बात की है न कि वैश्विक बाजार की। भागवत ने कहा कि वर्तमान दौर में कट्टरता, हिंसा और आतंकवाद बढ़ रहा है।
व्याख्यान का आयोजन ‘माधव स्मृति न्यास’ ने किया था। यह संगठन आरएसएस से जुड़ा हुआ है। संघ प्रमुख ने कहा कि यह सोचना कि हम बेहतर दुनिया में जी रहे हैं, अर्द्धसत्य है। सुविधाएं समान रूप से सबको हासिल नहीं हो रही हैं। जंगल का नियम चल रहा है। आगे बढ़ने के लिए सक्षम व्यक्ति कमजोर को दबा रहा है। दुनिया में तबाही के लिए ज्ञान का ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है।
भागवत ने कहा कि अमेरिका और रूस सुपर पॉवर हैं। चीन भी सुपर पॉवर बन जाएगा। सुपर पॉवर राष्ट्रों ने दूसरों के लिए क्या किया? अपने एजेंडे के लिए वे दूसरे देशों पर नियंत्रण कर लेते हैं। ये सुपर पॉवर तभी लौटाना शुरू करते हैं जब उन्हें ऐसा करने के लिए कहा जाता है। अन्यथा उन्होंने दूसरों के लिए कभी कुछ नहीं दिया।