नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी में साइकल चुनाव चिन्ह को लेकर चल रही खींचतान पर विराम लगता दिखाई दे रहा है। सूत्रों के अनुसार खबर है कि मुलायम चुनाव आयोग के सामने नरम पड़ गए हैं।
मुलायम सिंह ने चुनाव आयोग के सामने समाजवादी पार्टी के मागदर्शक की भूमिका को स्वीकार कर लिया है। मुलायम ने यह अंदरूनी मामला बताया है। इससे पहले अखिलेश यादव और मुलायम सिंह साइकल चुनाव चिन्ह को लेकर चुनाव आयोग पहुंचे थे, लेकिन मामले में मुलायम सिंह नरम पड़ गए।
उल्लेखनीय है कि अखिलेश यादव के समर्थक चाहते थे कि मुलायम सिंह पार्टी मार्गदर्शक की भूमिका में रहे हैं और अखिलेश यादव पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहें। चुनाव आयोग ने समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद चुनाव आयोग ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। चुनाव आयोग ने कहा कि जल्द से जल्द फैसला सुनाया जाएगा।
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह पार्टी के भीतर दो फाड़ होने के बाद मुलायम की अगुवाई और उनके बेटे अखिलेश की अगुवाई वाले खेमों ने चुनाव आयोग से संपर्क कर इस पार्टी और इसके चुनाव चिह्न पर दावा किया था। दोनों ही पक्षों ने अपने दावों के समर्थन में कुछ दस्तावेज भी सौंपे थे और आयोग ने पार्टी के नाम और चिह्न पर नियंत्रण के दावे के लिए विधायकों और पदाधिकारियों के हस्ताक्षर वाले हलफनामे उपलब्ध कराने के लिए के लिए सोमवार तक का समय दिया था। जिस भी पक्ष के पास ज्यादातर (50 प्रतिशत से अधिक) सांसदों, विधायकों, विधान परिषद के सदस्यों और प्रतिनिधियों का समर्थन होगा, वह 25 वर्ष पहले स्थापित इस पार्टी पर नियंत्रण की लड़ाई में मजबूत स्थिति में होगा। यूपी में पहले चरण का चुनाव 11 फरवरी को है। (एजेंसियां)