इस बड़ी चूक से हुआ मुजफ्फरनगर रेल हादसा

रविवार, 20 अगस्त 2017 (13:38 IST)
मुजफ्फरनगर। उत्तरप्रदेश में मुजफ्फरनगर के खतौली कस्बे के पास पुरी से हरिद्वार जा रही कलिंगा-उत्कल एक्सप्रेस के दुर्घटना के कारणों में 'कॉशन बोर्ड' का संज्ञान नहीं लिया जाना एक बड़ी चूक मानी जा रही है। इस दुर्घटना में 23 यात्रियों के मरने की पुष्टि हुई है। हालांकि एक यात्री के मेरठ अस्पताल में रविवार सुबह मृत्यु की सूचना मिली है। हादसे में 400 यात्री घायल हुए हैं।
 
राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) का दावा है कि दुर्घटनास्थल पर रेल पटरी की मरम्मत का काम चल रहा था। मरम्मत के समय रेलगाड़ियों की रफ्तार उस स्थान पर धीमी हो जाती है, लेकिन शनिवार को दुर्घटनाग्रस्त ट्रेन की रफ्तार 105 किलोमीटर प्रति घंटे बताई गई है।
 
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार कलिंगा-उत्कल एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने से पहले उसी पटरी से 2 रेलगाड़ियां गुजरी थीं, लेकिन उनकी रफ्तार धीमी थी।
 
इस बाबत अपर पुलिस महानिदेशक बीके मौर्य ने कहा कि पटरी की मरम्मत का कार्य चल रहा था। ट्रेन की रफ्तार धीमी होनी चाहिए थी, लेकिन उसकी स्पीड में कोई कमी नहीं थी। उनका कहना था कि मरम्मत कार्य में लगे रेलकर्मी या तो कॉशन बोर्ड लगाना भूल गए या ड्राइवर बोर्ड को देख नहीं सका। दोनों ही स्थिति भयावह है और परिणाम सबके सामने है।
 
दुर्घटना की जांच जीआरपी के साथ ही रेल संरक्षा आयुक्त भी कर रहे हैं। स्थानीय प्रशासन ने अब तक 20 शवों का पोस्टमॉर्टम करा दिया है। मृतकों में 13 की पहचान कर ली गई है। शेष की पहचान करने के प्रयास किए जा रहे हैं। 
 
उत्तरप्रदेश सरकार ने मृतकों के आश्रितों को 2-2 लाख रुपए और घायलों को 50-50 हजार रुपए की मदद की घोषणा की है जबकि रेलवे ने मृतकों के परिजनों को साढ़े 3-3 लाख रुपए आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। उड़ीसा सरकार ने मृतक आश्रितों को 5-5 लाख रुपए मुआवजा देने का ऐलान शनिवार को ही कर दिया था।
 
उत्तरप्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना और गन्ना विकास मंत्री सुरेश राणा ने मेरठ मेडिकल कॉलेज जाकर घायलों के हालात जाने। उन्हें ढांढस बंधाया और उनकी चिकित्सा के बारे में जानकारी हासिल की। 
 
हादसा इतना भीषण था कि बचाव और राहत कार्य अभी भी जारी हैं। क्षतिग्रस्त डिब्बों को हटाया जा रहा है। डिब्बों के हटाने के साथ ही पटरियों की मरम्मत का काम किया जा रहा है। दुर्घटना के थोड़ी देर बाद ही मेरठ और मुजफ्फरनगर से चिकित्सकों का दल मौके पर पहुंच गया था। रिलीफ ट्रेन मौके पर पहुंच गई थी। मेरठ मंडल के सरकारी और गैरसरकारी अस्पतालों को अलर्ट कर दिया गया था।
 
इस दुर्घटना की वजह से दिल्ली-देहरादून रेलमार्ग बाधित है। रेलगाड़ियों के मार्ग परिवर्तित कर शामली और मुरादाबाद होकर भेजा जा रहा है। शताब्दी समेत कई गाड़ियां रद्द की गई हैं। दुर्घटना की वजह से खतौली और उसके आसपास के क्षेत्रों में हाहाकार मच गया था। हादसे में घायल लोगों को सरकारी-निजी अस्पतालों में मुजफ्फरनगर, मेरठ व खतौली में भर्ती कराया गया।
 
रात्रि की वजह से राहत एवं बचाव कार्य में बाधा आ रही थी लेकिन स्थानीय निवासियों और पुलिस की मदद से डिब्बों में फंसे यात्रियों को निकाला जा रहा था। एनडीआरएफ के जवान ताबड़तोड़ मेहनत कर स्थानीय नागरिकों की मदद से डिब्बे में फंसे हताहत लोगों को निकाल रहे थे। एक जवान के अनुसार बीच-बीच में चीख-पुकार के साथ 'बचाओ, बचाओ' की आवाज भी सुनाई दे रही थी।
 
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार प्रशासन के पहुंचने के पहले स्थानीय नागरिकों ने यात्रियों की मदद करनी शुरू कर दी थी। कुछ स्थानीय लोग अपनी निजी गाड़ियों से घायलों को अस्पताल ले जाते देखे गए, हालांकि थोड़ी देर बाद कई सरकारी एम्बुलेंस भी पहुंच गई थी।
 
इस बीच उत्तरप्रदेश पुलिस के आतंकवादी निरोधक दस्ते (एटीएस) को भी जांच में लगाया गया है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार घटना में आतंकियों के हाथ होने की आशंका नहीं है फिर भी एहतियात के तौर पर एटीएस से भी जांच कराने का निर्णय लिया गया है। (वार्ता)

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