प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वाराणसी के दो दिन के दौरे पर हैं। यहां वे सरकार की कई योजनाओं का लोकार्पण करेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 557 करोड़ सौगात वाराणसी को देंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपना जन्मदिन भी काशी में ही मनाया। जन्मदिन के दिन उन्होंने बाबा विश्वनाथ की पूजा-अर्चना की। इसके बाद बच्चों के साथ उन्होंने अपना जन्मदिन मनाया। आखिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को वाराणसी से इतना लगाव क्यों है।
मोदी के वाराणसी के दौरे के राजनीतिक मायने हैं। वैसे तो वाराणसी प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र है, लेकिन आने वाले लोकसभा चुनावों को देखते हुए भाजपा बनारस से ही अपना पूर्वांचल प्लान बनाना चाहती है।
देश की सत्ता की कुर्सी का रास्ता उत्तरप्रदेश होकर ही जाता है और उत्तरप्रदेश में जीत के लिए पूर्वांचल को जीतना जरूरी है। भाजपा ने इसी फॉर्मूले से 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें हासिल की थीं और वही फॉर्मूला वह आगामी लोकसभा में फिर दोहराना चाहती है।
सपा और बसपा को कमजोर करने के लिए भी प्रधानमंत्री मोदी यह दौरा कर रहे हैं, जहां वे लोगों से मिलकर चार साल में सरकार की उपलब्धियों का बखान करेंगे। साथ ही वे रैलियों में जनता के बीच भाजपा की भविष्य की योजनाओं को भी बताएंगे।
भाजपा को इस बार यह भी डर सता है कि उत्तरप्रदेश में विपक्ष की एकता उसका गणित बिगाड़ न दे। पूर्वांचल के गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा-बसपा के गठबंधन से भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। पश्चिम यूपी के कैराना में भाजपा को गठबंधन के चलते ही आरएलडी ने शिकस्त दी थी।
भाजपा के लिए 2014 जैसे नतीजे दोहराना आसान नही दिखाई दे रहा है। वाराणसी सीट को छोड़ दें तो पूर्वांचल की ज्यादातर सीटों पर भाजपा को 'भय' सता रहा है। अगर भाजपा के हाथ से पूर्वांचल खिसका तो उसका देश की सत्ता में लौटने का रास्ता मुश्किलों भरा हो जाएगा।