केंद्रीय बैंक ने कहा- सरकार की सलाह पर लिया नोटबंदी का फैसला

मंगलवार, 10 जनवरी 2017 (23:04 IST)
नई दिल्ली। नोटबंदी पर रिजर्व बैंक द्वारा संसद की एक समिति को भेजे पत्र में कहा गया है कि यह सरकार थी जिसने उसे 7 नवंबर को 500 और 1,000 का नोट बंद करने की ‘सलाह’ दी थी। केंद्रीय बैंक के बोर्ड ने इसके अगले दिन ही नोटबंदी की सिफारिश की।
रिजर्व बैंक ने संसद की विभाग संबंधी वित्त समिति को भेजे सात पृष्ठ के नोट में कहा है कि ‘सरकार ने रिजर्व बैंक को 7 नवंबर, 2016 को सलाह दी थी कि जाली नोट, आतंकवाद के वित्तपोषण तथा कालेधन, इन तीन समस्याओं से निपटने के लिए केंद्रीय बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल को 500 और 1,000 के ऊंचे मूल्य वाले नोटोंको बंद करने पर विचार करना चाहिए।’ संसदीय समिति के अध्यक्ष प्रमुख कांग्रेस नेता एम वीरप्पा मोइली हैं।
 
रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की अगले दिन ही इस सलाह पर विचार करने के लिए बैठक हुई। ‘विचार-विमर्श’ के बाद केंद्र सरकार से यह सिफारिश करने का फैसला किया गया कि 500 और 1,000 के नोटों को चलन से बाहर कर दिया जाए।
 
इस सिफारिश के कुछ घंटे बाद ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में नोटबंदी का फैसला किया गया। कुछ मंत्री अभी तक यह कहते रहे हैं कि सरकार ने नोटबंदी का फैसला रिजर्व बैंक की सिफारिश पर किया था।
 
समिति को भेजे नोट में रिजर्व बैंक ने कहा कि पिछले कुछ साल से वह नई श्रृंखला के बैंक नोटों में सुधरे हुए सुरक्षा फीचर्स जोड़ने पर काम कर रहा है जिससे इनकी नकल न की जा सके, वहीं दूसरी ओर सरकार कालेधन तथा आतंकवाद से निपटने के लिए कदम उठा रही है।
 
रिजर्व बैंक ने कहा कि खुफिया और प्रवर्तन एजेंसियों के पास इस तरह की रिपोर्ट थी कि ऊंचे मूल्य के नोटों की उपलब्धता की वजह से कालाधन धारकों तथा जाली नोटों का धंधा करने वालों काम आसान हो रहा है। ऊंचे मूल्य के नोटों का इस्तेमाल आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए भी किया जा रहा है। 
 
केंद्रीय बैंक ने कहा कि भारत सरकार और रिजर्व बैंक को लगा कि नई श्रृंखला के नोटों को पेश करने से इन तीनों समस्याओं से निपटने का अवसर मिलेगा। नोट में कहा गया है कि हालांकि शुरुआत में इस पर कोई पुख्ता फैसला नहीं लिया गया कि नोटबंदी की जाए या नहीं, लेकिन नई श्रृंखला के नोट पेश करने की तैयारियां चलती रहीं।
 
केंद्रीय बैंक ने कहा कि 7 अक्टूबर, 2014 को उसने सरकार को सुझाव दिया था कि मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए तथा भुगतान करने और करेंसी लॉजिस्टिक्स के प्रबंधन के लिए 5,000 और 10,000 का नोट शुरू करने की जरूरत है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि सरकार 18 मई, 2016 को 2,000 का नोट पेश करने पर सहमत हुई थी।
 
रिजर्व बैंक ने कहा कि उसने सरकार से 27 मई, 2016 को नई श्रृंखला के बैंक नोट नए डिजाइन, आकार, रंग व थीम के साथ पेश करने की सिफारिश की। इसमें 2,000 का नया नोट भी शामिल है। ‘सरकार ने इस पर 7 जून, 2016 को अंतिम मंजूरी दे दी। 
 
इसी के अनुरूप नोट छापने वाली प्रेस को नई श्रृंखला के नोटों का शुरुआती उत्पादन करने को कहा गया। नोट में कहा गया है कि चूंकि नए डिजाइन और नए मूल्य के नोटों के प्रति लोगों का आकर्षण होता, ऐसे में यह फैसला किया गया कि 2,000 के नोट पर्याप्त संख्या में छापे जाएं जिससे इन्हें देशभर में एक साथ उपलब्ध कराया जा सके। 
 
केंद्रीय बैंक ने कहा कि सरकार ने अपनी 7 नवंबर की सलाह में इस बात का उल्लेख किया कि नकदी से कालेधन में मदद मिलती है क्योंकि नकद लेन-देन का ऑडिट नहीं हो पाता। संसदीय समिति से नोट में कहा गया है कि कालेधन की समाप्ति से छद्म अर्थव्यवस्था समाप्त होगी जो भारत के वृद्धि परिदृश्य की दृष्टि से सकारात्मक होगी। इसमें यह भी कहा गया है कि पिछले पांच साल के दौरान 500 और 1,000 के नोटों का चलन इन नोटों की नकल के साथ बढ़ा है।
 
‘आतंकवाद तथा ड्रग्स के वित्तपोषण के लिए जाली भारतीय करेंसी नोट (एफआईसीएन) के इस्तेमाल की व्यापक खबरें हैं। ये नोट पड़ोसी देश में बन रहे हैं जो कि देश की सुरक्षा और अखंडता के लिए गंभीर खतरा हैं। ऐसे में सरकार ने 500 और 1,000 के नोटों को चलन से हटाने की सिफारिश की। 
 
नोटबंदी की सिफारिश के लिए रिजर्व बैंक के बोर्ड ने निष्कर्ष निकाला कि यह प्रस्ताव इससे अच्छे समय नहीं आ सकता था, जबकि साथ ही नई श्रृंखला के नोट आ रहे हैं। इससे मौजूदा नोटों को हटाया जा सकता है। और नए डिजाइन के अधिक सुरक्षा खूबियों वाले नोटों को पेश किया जा सकता है। 
 
केंद्रीय बैंक ने कहा कि रिजर्व बैंक के कार्यालयों में 2,000 का नोट आ रहे हैं और इन्हें देशभर में करेंसी चेस्ट में भेजा जा रहा हैं। मूल्य के हिसाब से इनके जरिए मांग के एक महत्वपूर्ण हिस्से को पूरा किया जा सकता है। (भाषा)

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