बिरला ने आपातकाल की लोकसभा में निंदा की, विपक्ष का हंगामा

बुधवार, 26 जून 2024 (14:35 IST)
नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने लोकसभा में 1975 में कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पढ़ा। उन्होंने कहा कि वह कालखंड काले अध्याय के रूप में दर्ज है जब देश में तानाशाही थोप दी गई थी, लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला गया था और अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंट दिया गया था। इस दौरान सदन में कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने जोरदार हंगामा किया और नारेबाजी की। ALSO READ: ओम बिरला दूसरी बार बने लोकसभा स्पीकर, पीएम मोदी ने दी बधाई
 
आपातकाल पर एक प्रस्ताव पढ़ते हुए बिरला ने कहा कि अब हम सभी आपातकाल के दौरान कांग्रेस की तानाशाही सरकार के हाथों अपनी जान गंवाने वाले नागरिकों की स्मृति में मौन रखते हैं। इसके बाद सत्तापक्ष के सदस्यों ने कुछ देर मौन रखा, हालांकि इस दौरान विपक्षी सदस्यों ने नारेबाजी और टोकाटाकी जारी रखी।
 
मौन रखने वाले सदस्यों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उनकी मंत्रिपरिषद के सभी सदस्य और सत्तापक्ष के अन्य सांसद शामिल रहे।
 
बिरला ने कहा कि यह सदन 1975 में आपातकाल लगाने के निर्णय की कड़े शब्दों में निंदा करता है। इसके साथ ही हम उन सभी लोगों की संकल्पशक्ति की सरहाना करते हैं जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व निभाया। ALSO READ: विपक्ष भी भारत के लोगों की आवाज, राहुल ने इस तरह दी स्पीकर बिरला को बधाई
 

"भारत की पहचान पूरी दुनिया में लोकतंत्र की जननी के तौर पर है."

लगातार दूसरी बार लोक सभा अध्यक्ष @ombirlakota का सदन में संबोधन#18thLokSabha #Parliament #LokSabha

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उनका कहना था कि भारत के इतिहास में 25 जून, 1975 को काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा। उस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया था और बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान पर प्रचंड प्रहार किया था।
 
बिरला ने दावा किया कि इंदिरा गांधी द्वारा तानाशाही थोप दी गई थी, लोकतांत्रिक मल्यों को कुचला गया था और अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंटा गया था। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान नागरिकों के अधिकार नष्ट कर दिए गए थे।
 
उनका कहना था कि यह दौर था कि जब विपक्ष के नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया और पूरे देश को जेलखाना बना दिया गया था। तब की तानाशाही सरकार ने मीडिया पर पाबंदी लगा दी थी, न्यायपालिका पर अंकुश लगा दिया था। उस वक्त कांग्रेस सरकार ने कई ऐसे निर्णय लिए जिसने संविधान की भावनाओं को कुचलने का काम किया। ALSO READ: ओम बिरला से बोले अखिलेश, सत्तापक्ष पर भी हो स्पीकर का अंकुश
 
उन्होंने दावा किया कि आपातकाल के समय संविधान में संशोधन करने का लक्ष्य एक व्यक्ति के पास शक्तियों को सीमित करना था।
 
आपातकाल के दौरान जान गंवाने वाले नागरिकों की स्मृति में कुछ देर मौन रखे जाने के बाद बिरला ने सभा की कार्यवाही गुरुवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण के आधे घंटे बाद तक के लिए स्थगित कर दी।
Edited by : Nrapendra Gupta 

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