सीबीडीटी ने इस संबंध में मीडिया में आई खबरों को गलत बताते हुए कहा कि इन दोनों वित्त वर्ष के आंकड़ों की तुलना नहीं की जा सकती। तथ्यों के आधार पर ऐसा करना सही नहीं है। उसने कहा कि वर्ष 2017-19 में कुल दाखिल आयकर रिटर्न का मात्र 1.5 प्रतिशत अर्थात 9.2 लाख ही पेपर के जरिए दाखिल किए गए थे और वर्ष 2018-19 में यह संख्या घटकर कुल दाखिल रिटर्न में से 4.8 लाख अर्थात 0.6 प्रतिशत पर आ गया।
उसने कहा कि वर्ष 2017-18 में 6.74 करोड़ आयकर रिटर्न दाखिल किए गए जिसमें से 5.47 करोड़ रिटर्न ऑनलाइन भरे गए थे, जो उसी वर्ष के लिए थे। इसी तरह से वर्ष 2018-19 के लिए 6.68 करोड़ रिटर्न दाखिल किए जिसमें से 6.49 करोड़ रिटर्न वर्ष 2018-19 के लिए थे, जो वर्ष 2017-18 के लिए दाखिल रिटर्न की तुलना में 19 फीसदी अधिक है।
वित्त विधेयक 2017 में किए गए संशोधन के कारण संबंधित आकलन वर्ष के अंत तक ही आयकर रिटर्न भरना होता है। इसके बावजूद वर्ष 2018-19 में 14 लाख रिटर्न वर्ष 2017-18 के लिए भरे गए, जो संशोधित आयकर रिटर्न थे। विभाग ने कहा कि ये सभी आंकड़े उसकी वेबसाइट पर उपलब्ध है। (वार्ता)