दुकानदार ने एक सिम के आधार सत्यापन के दौरान ग्राहक के अंगूठे के निशान दो बार लिए थे और कहा था कि पहली बार में यह प्रक्रिया सही ढंग से नहीं हो पाई और इसके बाद दूसरी बार में प्रमाणन किया गया, जिसका नया कनेक्शन जारी करने में इस्तेमाल किया गया, जो किसी अन्य व्यक्ति को सौंप दिया गया। उच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू करते हुए इस घटना पर संज्ञान लिया था।
पीठ ने केन्द्र, दिल्ली सरकार और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) से इस रिपोर्ट पर अपना जवाब देने को कहा। इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए 12 फरवरी की तारीख तय की गई। पीठ ने कहा, ‘हमें लगता है कि इन्हें (सुझाव) माना जाना चाहिए।’ संयुक्त रिपोर्ट में दोनों वकीलों ने कहा कि बायोमेट्रिक के इस्तेमाल की जगह ओटीपी प्रमाणन को तरजीह दी जानी चाहिए।