कौशलेन्द्र और अंकिता की दर्दनाक कहानी, 5 मई को शादी, 25 को हनीमून पर रवाना, 29 को हादसा
Story of Kaushalendra and Ankita of Pratapgarh: सिक्किम के उत्तर जिले के चुंगथांग क्षेत्र में हुए एक दर्दनाक हादसे को 12 दिन बीत चुके हैं, लेकिन प्रतापगढ़ जिले के लालगंज तहसील के राहाटीकर गांव का नवविवाहित जोड़ा अपने हनीमून के लिए गया था, लेकिन उसका कभी तक कुछ पता नहीं चल सका है। कौशलेंद्र प्रताप सिंह और अंकिता सिंह 29 मई की रात्रि में टूरिस्टों से भरी टेंपो ट्रैवलर में सवार थे, जो बारिश से बेकाबू होकर मंगन जिले में एक पहाड़ी से करीब 1000 फीट गहरी खाई में गिर गए थे, जिसकी सूचना मिलते ही प्रतापगढ़ जिले में हड़कंप मच गया। हादसे के बाद उनके परिजन सकुशल वापस लौटने के लिए भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं। जैसे-जैसे समय आगे बढ़ रहा है परिवार की उम्मीदें भी टूटती जा रही हैं दोनों सही सलामत लौट पाएंगे।
योगी सरकार से मार्मिक अपील : हनीमून पर गए कौशलेंद्र के पिता दुखी मन से देश के प्रधानमंत्री और सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ से अपील कर रहे हैं कि रेस्क्यू अभियान में और तेजी लाइ जाए, उनके बेटे-बहू को ढूंढकर बाहर निकाला जाए। उन्होंने कहा है कि अब तक जो सामान बाहर निकाला गया है, उसमें उनके बेटे-बहू की घड़ी, बैग, जूते चप्पल, कपड़े कुछ भी नहीं है। इस हादसे में अब तक एक व्यक्ति की मौत हुई है, 8 लोग लापता हैं, जबकि रेस्क्यू टीम ने 2 लोगों को जीवित बाहर निकाला गया है, जिनमें से एक आईसीयू और दूसरा सामान्य वार्ड में भर्ती है।
हादसे से बाहर आए दोनों यात्रियों ने इस बात की पुष्टि कि है कि कौशलेंद्र और अंकिता भी उसी वाहन में सवार थे। जिसके बाद परिवार की चिंता और बढ़ गई है, वह भारी मन से अपने बच्चों को रेस्क्यू करने की मार्मिक अपील सरकार से कर रहे हैं।
5 मई को हुई थी शादी : कौशलेंद्र और अंकिता की शादी बीती 5 मई को ही हुई थी और वह दोनों 25 मई को हनीमून पर सिक्किम रवाना हुए थे। लेकिन 29 मई की रात हुए इस हादसे ने सब कुछ बदल दिया। अंकिता के पिता विजय सिंह डब्बू ने मीडिया को बताया कि उनकी आखिरी बार अपनी बेटी से बात 29 मई को हुई थी और वह अपने हनीमून ट्रिप पर बेहद खुश थी थी, लेकिन उसकी खुशियों को ग्रहण लग गया और उसी दिन यह हादसा हो गया। हादसे वाले दिन से आज तक बेटी-दामाद का कोई सुराग नहीं मिला है। पूरे परिवार में मातम छा गया है, लेकिन अभी भी हम सभी भगवान से चमत्कार की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala