चव्हाण के भाई भूषण चव्हाण भी एक सैनिक हैं। भूषण ने कहा कि वह सेना को उसके प्रयासों के लिए धन्यवाद देते हैं। उन्होंने कहा कि डीजीएमओ और सेना ने जो प्रयास किए हैं उसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं। मैं यह कभी भी भुला नहीं सकता। मैं भी एक सैनिक हूं और मैं अपनी आखिरी सांस तक पूरी ईमानदारी से अपनी ड्यूटी करता रहूंगा।
भूषण ने कहा कि मैं ग्रामीणों और उन सभी के प्रति आभारी हूं जिन्होंने न केवल मेरे भाई बल्कि इस देश के एक सैनिक के लिए प्रार्थना की। चव्हाण महाराष्ट्र के धुले जिले के बोरवीहिर गांव का रहने वाला है। उसे पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा पकड़े जाने की खबर सुनकर सदमे से उसकी दादी का निधन हो गया था, वहीं चव्हाण के परिवार ने कहा कि अब जब चंदू को पाकिस्तान ने छोड़ दिया है उसकी दादी की अस्थियों को नदी में विसर्जित किया जा सकता है।