नई दिल्ली। मोदीराज में पेट्रोल-डीजल के दाम लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। इस वजह से जनता बेहद परेशान है। दाम बढ़ने से न सिर्फ सफर महंगा होगा बल्कि ट्रांसपोर्टेशन लागत बढ़ने से महंगाई को भी पर लग सकते हैं। आइए जानते हैं 10 खास बातें...
रविवार को पेट्रोल की कीमत 74.40 रुपए लीटर हो गई जो भाजपा सरकार आने के बाद से अब तक की सबसे ज्यादा कीमत है। वहीं डीजल 65.65 रुपए लीटर पहुंच गया है। यह इसका सर्वोच्च स्तर है।
पेट्रोल-डीजल के दामों पर जल्द ही काबू नहीं पाया गया तो महंगाई को पर लग जाएंगे और सभी वस्तुओं के दाम बढ़ने लगेंगे। इससे आम जनता में हाहाकार मच जाएगा।
पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों को देखते हुए केंद्र सरकार इसे जीएसटी के दायरे में लाना चाहती है जबकि राज्य सरकारों को लगता है कि इसमें उनका घाटा है।
पेट्रोलियम मंत्रालय ने एक्साइ़ज ड्यूटी घटाने की मांग की थी जिसे वित्तमंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में दिए गए अपने बजट भाषण में ठुकरा दिया था।
अगर डीजल के बढ़ते दामों पर काबू पाने के लिए उस पर लगाए गए करों को कम नहीं किया गया तो यह जल्द ही 100 रुपए प्रति लीटर तक जा सकते हैं।
वित्तमंत्री ने 9 बार इस पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई है, वहीं अक्टूबर में इसमें 2 रुपए की कटौती की गई थी।
दक्षिण एशिया में सबसे ज्यादा महंगा पेट्रोल-डीजल भारत में मिलता है।
पश्चिम एशिया संकट बढ़ने और अमेरिका की बढ़ती मांग के बीच कच्चे तेल के दाम 3.5 साल के उच्चस्तर पर पहुंच गए हैं। कच्चे तेल के दाम बढ़ने से देश में पेट्रोल-डीजल के दामों में भारी तेजी की आशंका है।
लीबिया में आतंकवादियों ने अल-वाहा तेल कंपनी की पाइपलाइन में शनिवार को आग लगा दी जिसके कारण प्रतिदिन 70,000 बैरल और 1,00,000 बैरल तेल नुकसान होने का अनुमान है। इस घटना से दुनियाभर में तेल के दाम और तेजी से बढ़ने की आशंका है।
ओपेक ने कहा है कि वह चाहता है कि कच्चे तेल के दाम 80 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचें।