विदेशी वैक्सीन के भारत लाने में देरी के सवाल पर डॉ. गुलेरिया ने कहा कि इसकी सबसे बड़ी वजह शुरुआती डेटा नहीं होना है। कोई वैक्सीन कितनी सुरक्षित है यह डेटा के बाद ही तय किया जा सकता है। अमेरिका और ब्रिटेन से वैक्सीनेशन के डेटा आने के बाद ही भारत में इसे मंजूरी दी जा रही है। क्योंकि यूरोप में इसके साइड इफेक्ट की खबरें आ रही थीं।
उल्लेखनीय है कि भारत में तीसरी लहर की आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं, जिसका सबसे ज्यादा असर बच्चों पर होने की बात कही जा रही है। इस बीच, देश में कई जगह बच्चों में कोरोना संक्रमण के मामले भी सामने आ रहे हैं। इतना ही नहीं कर्नाटक और गुजरात में तो बच्चों में ब्लैक फंगस के मामले भी सामने आए हैं।