नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को वैश्विक डिजिटल रूपरेखा तैयार करने की जोरदार वकालत की, जिसमें प्रौद्योगिकी के नैतिक उपयोग के लिए स्पष्ट निर्देश दिए गए हों। अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (डब्ल्यूटीएसए) और इंडिया मोबाइल कांग्रेस के उद्घाटन के अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि जिस तरह विमानन क्षेत्र के लिए वैश्विक समुदाय ने एक व्यापक रूपरेखा तैयार की है, उसी तरह डिजिटल दुनिया को भी नियमों तथा विनियमों की आवश्यकता है।
मोदी ने सुरक्षा, सम्मान और समानता को केंद्र में रखते हुए कृत्रिम मेधा (एआई) के नैतिक इस्तेमाल पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि वैश्विक संस्थाओं को एक साथ मिलकर यह तय करना चाहिए कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं। ALSO READ: आकाश अंबानी बोले, भारत का डेटा भारतीय डेटा सेंटर में ही रहना चाहिए
भारत के अनुभव की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में भारत की मोबाइल और टेलीकॉम यात्रा पूरे विश्व के लिए स्टडी का विषय है। दुनिया में मोबाइल और टेलीकॉम को एक सुविधा के रूप में देखा गया, लेकिन भारत का मॉडल कुछ अलग रहा है। भारत में हमने टेलीकॉम को सिर्फ कनेक्टिविटी का नहीं, बल्कि इक्विटी और अपॉरचुनिटी का माध्यम बनाया। ये माध्यम आज गांव और शहर, अमीर और गरीब के बीच की दूरी को मिटाने में मदद कर रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत ने डिजिटल टेक्नोलॉजी को डेमोक्रेटाइज किया है। भारत ने डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाएं और इन प्लेटफॉर्मों पर हुए इनोवेशन ने लाखों नए अवसर पैदा किए। जन-धन, आधार और मोबाइल की ट्रिनिटी कितने ही नए इनोवेशन का आधार बनी है। UPI ने कितनी ही नई कंपनियों को नए मौके दिए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले दशक में भारत मोबाइल फोन का आयातक से निर्यातक बन गया है। उसने पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी से आठ गुना अधिक दूरी का ऑप्टिक फाइबर नेटवर्क बिछाया है। उन्होंने कहा कि 2014 में प्रस्तुत भारत का डिजिटल विजन चार स्तंभों.... उपकरणों को सस्ता बनाना, सभी तक संपर्क सुविधा देना, किफायती डेटा और डिजिटल-फर्स्ट पर आधारित है।