PM Modi in Mann ki baat : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात के जरिए देशवासियों को संबोधित करते झांसी की महिलाओं की जमकर तारीफ की। इन महिलाओं ने घुरारी नदी को नया जीवन दिया और पानी की बर्बादी को रोका।
झांसी में कुछ महिलाओं ने घुरारी नदी को नया जीवन दिया है। ये महिलाएं सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी हैं और उन्होनें जल सहेली बनकर इस अभियान का नेतृत्व किया है। इन महिलाओं ने मृतप्राय हो चुकी घुरारी नदी को जिस तरह से बचाया है, उसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। इन्होंने बोरियों में बालू भरकर चेकडेम तैयार किया। बारिश का पानी बर्बाद होने से रोका और नदी को पानी से लबालब कर दिया। इससे इस क्षेत्र के लोगों की पानी की समस्या तो दूर हुई ही, उनके चेहरे पर खुशियां लौट आई।
इसी तरह मध्यप्रदेश के डिंडौरी में स्थित रयपुरा गांव में बड़े तालाब के निर्माण से भू जल स्तर काफी बढ़ गया। इससे गांव की महिलाओं को काफी फायदा हुआ और शारदा आजीविका स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को मछली पालन का नया व्यवसाह मिला। छतरपुर के खोंप गांव में जब तालाब सूखने लगा तो महिलाओं ने इसे पुर्नजीवित करने का बीड़ा उठाया। उन्होंने तालाब से गाद निकाली और इसका उपयोग बंजर जमीन पर फ्रूट फॉरेस्ट तैयार करने के लिए किया।
झांसी में कुछ महिलाओं ने घुरारी नदी को नया जीवन दिया है।
ये महिलाएं Self-help group से जुड़ी हैं और उन्होनें 'जल सहेली' बनकर इस अभियान का नेतृत्व किया है।
एक पेड़ मां के नाम : जब हमारे दृढ़ संकल्प के साथ सामूहिक भागीदारी का संगम होता है तो पूरे समाज के लिए अदभुत नतीजे सामने आते हैं। इसका सबसे ताजा उदाहरण है 'एक पेड़ मां के नाम'- ये अभियान अदभुत अभियान रहा, जन-भागीदारी का ऐसा उदाहरण वाकई बहुत प्रेरित करने वाला है। पर्यावरण संरक्षण को लेकर शुरू किये गए इस अभियान में देश के कोने-कोने में लोगों ने कमाल कर दिखाया है। राजस्थान में 6 करोड़ से ज्यादा पौछे लगाए गए।
अमेरिका ने लौटाई 300 प्राचीन कलाकृतियां : अमेरिका की मेरी यात्रा के दौरान अमेरिकी सरकार ने भारत को करीब 300 प्राचीन कलाकृतियों को वापस लौटाया है। अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन ने पूरा अपनापन दिखाते हुए Delaware के अपने निजी आवास में इनमें से कुछ कलाकृतियों को मुझे दिखाया। लौटाई गई कलाकृतियां टेराकोटा, स्टोन, हाथी के दांत, लकड़ी, तांबा और कांसे जैसी चीजों से बनी हुई हैं। इनमें से कई तो चार हजार साल पुरानी है।
मन की बात के 10 साल : उन्होंने कहा कि मन की बात की हमारी इस यात्रा को 10 साल पूरे हो रहे हैं। 10 साल पहले मन की बात का प्रारंभ 3 अक्टूबर को विजयादशमी के दिन हुआ था और ये कितना पवित्र संयोग है, कि इस साल 3 अक्टूबर को जब कार्यक्रम के 10 वर्ष पूरे होंगे, तब नवरात्रि का पहला दिन होगा।
इस लंबी यात्रा के कई ऐसे पड़ाव हैं, जिन्हें मैं कभी भूल नहीं सकता। मन की बात के करोड़ों श्रोता हमारी इस यात्रा के ऐसे साथी हैं, जिनका मुझे निरंतर सहयोग मिलता रहा। देश के कोने-कोने से उन्होंने जानकारियां उपलब्ध कराई। श्रोता ही इस कार्यक्रम के असली सूत्रधार हैं। इसने दिखाया है कि लोगों को सकारात्मक, प्रेरक और उत्साहवर्धक कहानियां पसंद आती हैं। 'मन की बात' की ये पूरी प्रक्रिया मेरे लिए ऐसी है, जैसे मंदिर जा करके ईश्वर के दर्शन करना। 'मन की बात' की हर बात को, हर घटना को, हर चिट्ठी को मैं याद करता हूं, तो ऐसे लगता है जैसे मैं ईश्वर रूपी जनता जनार्दन के दर्शन कर रहा हूं।