प्रधानमंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान के हालात से चुनौतियां बढ़ीं है। बढ़ता कट्टरपंथ सबसे बड़ी चुनौती है। हम एससीओ की अध्यक्षता में भारत द्वारा प्रस्तावित गतिविधियों के कैलेंडर में सभी एससीओ देशों से सहयोग और समर्थन की उम्मीद करते हैं। कट्टरपंथ के खिलाफ लड़ाई सिर्फ क्षेत्रीय सुरक्षा और अंतर-विश्वास के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है, यह हमारे युवाओं के भविष्य के लिए भी महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा, इस साल हम SCO की 20 वर्षगांठ मना रहे हैं। मैं वार्ता के नए साझेदारों साऊदी अरह, मिस्र और कतर का भी स्वागत करता हूं।
उन्होंने कहा कि पिछले वर्षों में भारत ने अपनी विकास यात्रा में तकनीक का सफल सहारा लिया है। चाहे financial inclusion बढ़ाने के लिए यूपीआई और रूपै कार्ड हों, या कोविड से लड़ाई में हमारे आरोग्य-सेतु और कोविन जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्मस, इन सभी को हमने स्वेच्छा से अन्य देशों के साथ भी साझा किया है।
पीएम ने कहा कि यदि हम इतिहास पर नज़र डालें, तो पाएंगे कि मध्य एशिया का क्षेत्र उदारवाद, और प्रगतिशील संस्कृति और मूल्यों का गढ़ रहा है। सूफीवाद जैसी परम्पराएं यहां सदियों से पनपी और पूरे क्षेत्र और विश्व में फैलीं। इनकी छवि हम आज भी इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत में देख सकते हैं।