बौद्ध महोत्सव में क्या बोले प्रधानमंत्री मोदी...

शुक्रवार, 12 मई 2017 (09:52 IST)
कोलंबो। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि सतत विश्व शांति की राह में सबसे बड़ी चुनौती ऐसी मानसिकता है जिसकी जड़ों में घृणा और हिंसा बसी है, और यह अनिवार्य रूप से राष्ट्रों के बीच संघर्ष से उपजी हुई नहीं है।
 
कोलंबो में अंतरराष्ट्रीय बैसाख दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि बैसाख दिवस के लिए चुनी गई सामाजिक न्याय और सतत विश्व शांति की थीम बुद्ध के उपदेशों से गहन मेल खाती है।
 
उन्होंने कहा, 'सतत विश्व शांति के लिए सबसे बड़ी चुनौती वर्तमान में अनिवार्य रूप से राष्ट्रों के बीच का संघर्ष नहीं है।' इस अवसर पर श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना, प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे, राजनयिक, नेता और दुनिया भर से आए बौद्ध नेता मौजूद थे।
 
मोदी ने कहा, 'यह ऐसी मानसिकता, विचार धारा, संस्थाओं और उपकरणों से है जिनकी जड़ों में घृणा और हिंसा के विचार भरे हुए हैं।' उन्होंने कहा, हमारे क्षेत्र में आतंकवाद का खतरा इन विध्वंसकारी भावनाओं की ठोस अभिव्यक्ति है।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि  भगवान बुद्ध का संदेश आज 21वीं सदी में भी उतना ही प्रासंगिक है जितना वह ढाई सहस्राब्दि पहले था।हमारा क्षेत्र सौभाग्यशाली है कि उसने दुनिया को बुद्ध और उनके उपदेश जैसे अमूल्य उपहार दिए। उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म और उसके विभिन्न पंथ हमारे प्रशासन, संस्कृति और सिद्धांतों में गहरी पैठ रखे हुए हैं।
 
दो वर्षों में दूसरी बार श्रीलंका यात्रा पर गए मोदी की अगवानी श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने पारंपरिक उल्लास के बीच आयोजन स्थल पर की।
 
मोदी ने परंपरागत प्रथा के तहत द्वीप प्रज्ज्वलित कर अंतरराष्ट्रीय बैसाख दिवस का शुभारंभ किया। बैसाख दिवस का आयोजन बुद्ध के जन्म, बोद्धिसत्व की प्राप्ति और निर्वाण की स्मृति में किया जाता है। बौद्ध भिक्षु जब प्रार्थना कर रहे थे तब मोदी ने आंखें बंद कर रखी थी और दोनों हाथ जोड़ रखे थे। 
 
इस मौके पर विक्रमसिंघे ने समारोह का मुख्य अतिथि बनने के लिए मोदी का आभार जताया। विक्रमसिंघे ने कहा कि कोलंबो में बैसाख दिवस समारोह की मेजबानी करके गौरवान्वित हूं। मैं समारोह का मुख्य अतिथि बनने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद देना चाहता हूं।
 
उन्होंने कहा, 'बौद्ध धर्म की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं। बौद्ध धर्म मध्यम मार्ग और सामाजिक न्याय को मजबूत करने की आवश्यकता दिखाता है।' मोदी दो दिन की यात्रा पर गुरुवार को यहां पहुंचे। ऐसे समय में जब चीन इस देश में अपनी दखल बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, मोदी की यात्रा का उद्देश्य भारत और श्रीलंका के बीच पारंपरिक संबंधों को मजबूत करना है। (भाषा) 
 

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