नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 75 डिजिटल बैंकिंग यूनिट्स को रविवार को लॉन्च कर दिया। इस अवसर उन्होंने कहा कि भारत के सामान्य मानवी के जीवन को आसान बनाने का जो अभियान देश में चल रहा है, डिजिटल बैंकिंग यूनिट्स उस दिशा में एक और बड़ा कदम है। ये ऐसी विशेष बैंकिंग व्यवस्था है, जो मिनिमम डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर से मैक्सिमम सेवाएं देने का काम करेगी। डिजिटल बैंकिंग इकाइयां (DBU) वित्तीय समावेश का विस्तार करेंगी, नागरिकों के बैंकिग अनुभवों को बेहतर बनाएंगी।
उन्होंने कहा कि आज देश डिजिटल इंडिया के सामर्थ्य का फिर एक बार साक्षी बन रहा है। आज 75 डिजिटल बैंकिग यूनिट्स देश के 75 जिलों में धरातल पर उतर रही है। भाजपा सरकार ने 2 चीजों पर एक साथ काम किया है। 1- बैंकिग व्यवस्था को सुधारना, मजबूत करना, पारदर्शिता लाना। 2- वित्तीय समावेशन किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने बैंकिंग सेवाओं को दूर-सुदूर में, घर-घर तक पहुंचाने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। आज भारत के 99% से ज्यादा गांवों में 5 किमी के अंदर कोई न कोई बैंक ब्रांच, बैकिंग आउटलेट या बैंकिंग मित्र मौजूद है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हमने जन-धन अकाउंट की मुहिम शुरू की तब आवाजें उठीं कि गरीब बैंक खाते का क्या करेगा। यहां तक की इस फील्ड के कई एक्सपर्ट भी नहीं समझ पा रहे थे, इस अभियान का महत्व क्या है। लेकिन बैंक खाते की ताकत क्या होती है, ये आज पूरा देश देख रहा है।
यूपीआई अपने तरह की दुनिया की पहली टेक्नोलॉजी है, लेकिन भारत में आप इसे शहर से लेकर गांव तक शोरूम हो या सब्जी का ठेला हर जगह यूपीआई देख सकते हैं। भारत की इस DBT और डिजिटल ताकत को आज पूरी दुनिया सराह रही है।
पीएम मोदी ने कहा कि आज देश में हर एक लाख वयस्क आबादी पर जितनी बैंक शाखाएं मौजूद हैं, वो जर्मनी, चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों से भी ज्यादा है। हम सामान्य मानवी के जीवन स्तर को बदलने का संकल्प लेकर दिन-रात मेहनत कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि व्यवस्थाओं में सुधार का पारदिर्शता लाने का आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक पहुंचने का हमारा संकल्प है।