यूपीए सरकार में उड्डयन मंत्री रहे प्रफुल्ल पटेल को ईडी ने भेजा समन, 6 जून को होगी पूछताछ

शनिवार, 1 जून 2019 (19:48 IST)
नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय ने संप्रग शासनकाल में हुए करोड़ों रुपए के विमानन घोटाले में धनशोधन के मामले की जांच के सिलसिले में राकांपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व नागर विमानन मंत्री प्रफुल्ल पटेल को अगले सप्ताह एजेंसी के समक्ष उपस्थित होने के लिए समन भेजा है। इस घोटाले के चलते एयर इंडिया को कथित तौर पर नुकसान उठाना पड़ा।
 
अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि राज्यसभा सदस्य पटेल से 6 जून को जांच अधिकारियों के समक्ष उपस्थित होने को कहा गया है। मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार में हुए करोड़ों रुपए के कथित विमानन घोटाले के सिलसिले में किसी बड़े नेता के खिलाफ यह पहली कार्रवाई है।
 
अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि विमानन लॉबिस्ट दीपक तलवार की गिरफ्तारी के बाद हुए कुछ खुलासों और एजेंसी द्वारा जुटाए गए सबूतों के मद्देनजर पटेल से सवाल-जवाब किया जाना है।
 
इस बीच प्रफुल्ल पटेल ने मुंबई में कहा कि उन्हें प्रवर्तन निदेशालय के साथ सहयोग करके खुशी होगी। साथ ही एजेंसी को भी विमानन उद्योग की 'पेचीदगियों' के बारे में पता चलेगा।
 
उन्होंने फोन पर कहा कि मुझे प्रवर्तन निदेशालय के साथ सहयोग कर उसे विमानन उद्योग की "पेचीदगियों" समझाने में खुशी होगी। एजेंसी ने हाल ही में दीपक तलवार को नामजद करते हुए आरोप-पत्र दाखिल किया है। उसमें कहा गया है कि तलवार लगातार पटेल के संपर्क में था।
 
ईडी ने आरोप पत्र में दावा किया कि गिरफ्तार किए गए तलवार ने अमीरात और एयर अरेबिया की ओर से पटेल के साथ विभिन्न संवादों को कथित तौर पर अंतिम रूप दिया था। जांच एजेंसी ने अदालत को बताया कि दीपक और पटेल के बीच ई-मेल के जरिए हुई बातचीत के सबूत भी हैं। आरोप-पत्र के अनुसार, जांच में पता चला कि तलवार ने अपने संपर्कों का उपयोग करके निजी एयरलाइंस के लिए अनुचित कृपा प्राप्त की।
 
ईडी ने इससे पहले अदालत को बताया था कि वह एयर इंडिया के लाभ देने वाले मार्गों और समय को कतर एयरवेज, अमीरात एंड एयर अरेबिया समेत विदेशी एयरलाइनों को देने का पक्ष लेने वाले नागर विमानन मंत्रालय, नेशनल एविएशन कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनएसीआईएल) और एयर इंडिया के अधिकारियों के नामों का पता लगाने की कोशिश कर रही है।
 
ईडी के अधिवक्ता एआर आदित्य ने अदालत को बताया था कि इसकी वजह से राष्ट्रीय एयरलाइंस को मार्केट शेयरों को भारी नुकसान हुआ तथा निजी घरेलू और विदेशी एयरलाइंस को जबरदस्त फायदा भी हुआ।

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