President Election in India: कैसे होता है भारत के राष्ट्रपति पद का चुनाव, जानिए पूरी प्रक्रिया

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
भारत में राष्ट्रपति पद का चुनाव अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली के द्वारा होता है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में राष्ट्रपति का चुनाव काफी अहम होता है। देश के प्रथम नागरिक का चुनाव सीधे जनता न करके उसके चुने हुए प्रतिनिधि यानी विधायक और सांसद करते हैं। 18 जुलाई 2022 को भारत के 16वें राष्ट्रपति का चुनाव होगा। आइए जानते हैं कि राष्ट्रपति किस तरह चुना जाता है और इस पद की क्या शक्तियां हैं....
 
सबसे बड़ा लोकतंत्र : भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और राष्ट्रपति यहां सर्वोच्च संवैधानिक पद है। संवैधानिक प्रक्रिया के अंतर्गत हर 5 वर्षों में राष्ट्रपति का चुनाव होता है। अमेरिका में कोई भी व्यक्ति दो कार्यकाल से ज्यादा राष्ट्रपति नहीं बन सकता, लेकिन भारत में ऐसी बाध्यता नहीं है। हालांकि देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं, जो दो कार्यकाल तक राष्ट्रपति रहे। 
 
योग्यता : देश का कोई भी नागरिक जिसकी उम्र 35 साल या इससे अधिक है, राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ सकता है। उसे भारत का नागरिक होना चाहिए, राज्य या केन्द्र सरकार के तहत किसी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए। मानसिक रूप से स्वस्थ होने के साथ ही उसे दिवालिया नहीं होना चाहिए। न ही किसी आपराधिक मामले में सजायाफ्ता होना चाहिए। राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को अपनी संपत्ति का खुलासा करना भी आवश्यक है। इसके अतिरिक्त वे सभी योग्यताएं होनी चाहिए जो लोकसभा के सदस्य के लिए होती हैं।   
 
अप्रत्यक्ष निर्वाचन : भारत में जनता अपने राष्ट्रपति का चुनाव सीधे नहीं करती, बल्कि उसके द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं। संविधान के अनुच्छेद 54 में इसका उल्लेख है। चुनाव में मतदाता सभी राज्यों के 4120 विधायक, 543 लोकसभा सदस्य और 233 राज्यसभा के सदस्य वोट डालते हैं अर्थात 4896 वोटर राष्ट्रपति चुनाव में मतदान करते हैं। मतदाता को 1, 2, 3 लिखकर अपनी पसंद बताना होगी है। पहली पसंद न देने की स्थिति में वोट रद्द हो जाता है।  
 
वोटों का मूल्य : 4896 निर्वाचकों के वोटों का कुल मूल्य 10 लाख 98 हजार 882 है। विधायकों के वोटों का मूल्य 5 लाख 49 हजार 474 है, जबकि सांसदों के वोटों का मूल्य 5 लाख 49 हजार 408 है। विधायक के मामले में जिस राज्य का विधायक हो, उसकी आबादी देखी जाती है। इसके साथ उस प्रदेश के विधानसभा सदस्यों की संख्या को भी ध्यान में रखा जाता है।
 
वोटों का वेटेज निकालने के लिए प्रदेश की जनसंख्या को चुने गए विधायकों की संख्या से बांटा जाता है। इस तरह जो भी आंकड़ा मिलता है, उसे फिर 1000 से भाग दिया जाता है। इससे जो आंकड़ा मिलता है, वही उस राज्य के एक विधायक के वोट का वेटेज होता है। एक हजार से भाग देने पर अगर शेष 500 से ज्यादा हो तो वेटेज में एक जोड़ दिया जाता है। जीतने के लिए 5 लाख 49 हजार 452 वोट मिलना जरूरी है।  
 
सांसदों के मतों के वेटेज का गणित अलग है। सबसे पहले सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुने गए सदस्यों के वोटों का वेटेज जोड़ा जाता है। अब इस सामूहिक वेटेज का राज्यसभा और लोकसभा के चुने गए सदस्य की कुल संख्या से भाग दिया जाता है। इस तरह जो नंबर मिलता है, वह एक सांसद के वोट का वेटेज होता है। अगर इस तरह भाग देने पर शेष 0.5 से ज्यादा बचता हो तो वेटेज में एक का इजाफा हो जाता है।   
 
ये नहीं डाल सकते हैं वोट : राष्ट्रपति द्वारा संसद में नामित सदस्य तथा राज्यों की विधान परिषदों के सदस्य राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं डाल सकते, क्योंकि ये जनता द्वारा चुने गए सदस्य नहीं होते हैं।
 
सिंगल ट्रांसफरेबल वोट : राष्ट्रपति चुनाव में खास तरीके से मतदान होता है, जिसे 'सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम' या एकल परिवर्तनीय वोट पद्धति कहते हैं अर्थात वोटर एक ही वोट देता है, लेकिन वह राष्ट्रपति चुनाव में भाग ले रहे सभी उम्मीदवारों में से अपनी प्राथमिकता तय कर देता है। यदि पहली पसंद वाले उम्मीदवार के वोटों से विजेता का फैसला नहीं हो सका तो उम्मीदवार के खाते में वोटर की दूसरी पसंद को नए सिंगल वोट की तरह ट्रांसफर किया जाता है। 
वोटों की गिनती : राष्ट्रपति चुनाव में सबसे ज्यादा वोट हासिल करने से ही जीत तय नहीं होती। महामहिम वही बनता है, जो वोटरों यानी सांसदों और विधायकों के वोटों के कुल वेटेज का आधे से अधिक हिस्सा हासिल करे। अर्थात इस चुनाव में पहले से तय होता है कि जीतने वाले को कितने वोट या वेटेज पाना होगा। 
 
शक्तियां : अनुच्छेद 52 के अनुसार संघ की शक्ति राष्ट्रपति में निहित है। भारत का राष्ट्रपति भारत का प्रथम नागरिक होने के साथ ही सशस्त्र सेनाओं का सर्वोच्च सेनानायक भी होता है। देश में आपातकाल लगाने, युद्ध अथवा शांति की घोषणा करने का अधिकार राष्ट्रपति के पास होता है। सिद्धांततः राष्ट्रपति के पास पर्याप्त शक्ति होती है।

पर कुछ अपवादों के अलावा राष्ट्रपति के पद में निहित अधिकांश अधिकार वास्तव में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिपरिषद् के द्वारा उपयोग किए जाते हैं। इसके अलावा राष्ट्रपति को मृत्युदंड प्राप्त व्यक्ति को क्षमादान, सजा कम करने आदि अधिकार भी प्राप्त हैं।
 
राष्ट्रपति का वेतन : भारत के राष्ट्रपति का वेतन 5 लाख रुपए प्रतिमाह है, जो कि करमुक्त है। रिटायरमेंट के बाद पेंशन के रूप में 1.5 लाख प्रतिमाह मिलते हैं। इसके अतिरिक्त अन्य सुविधाएं और भत्ते भी कम नहीं हैं।  
 
वेटिकन सिटी से भी बड़ा है परिसर : राष्ट्रपति का आवास एवं कार्यालय रायसीना हिल के नाम से मशहूर है। यह वेटिकन सिटी से तीन गुना बड़ा है तथा यह ब्रुनेई के सुल्तान, ब्रिटेन के राजनिवास तथा अमेरिका के राष्ट्रपति के आवास से भी बड़ा है। 33 एकड़ में फैले पेड़ पौधे, 340 कमरे और 11.5 मील लंबा गलियारा देखते ही बनता है। 200 से ज्यादा सेवक और अंगरक्षक हर समय राष्ट्रपति की सेवा में मौजूद रहते हैं।

महाभियोग : अनुच्छेद 61 के अनुसार राष्ट्रपति को महाभियोग प्रस्ताव के जरिए अपने पद से हटाया जा सकता है। राष्ट्रपति को संसद में प्रस्तुत किसी ऐसे प्रस्ताव से हटाया जा सकता है, जिसे प्रस्तुत करते समय सदन के 1/4 सदस्यों का समर्थन जरूरी है। प्रस्ताव पारित करने से पूर्व 14 दिन पहले नोटिस देना होता है।

प्रस्ताव सदन की कुल संख्या के 2/3 से अधिक बहुमत से पारित होना चाहिए। राष्ट्रपति अपना पक्ष स्वयं अथवा वकील के माध्यम से रख सकता है। दूसरे सदन में भी प्रस्ताव 2/3 बहुमत से पारित होना चाहिए। दोनों सदनों द्वारा प्रस्ताव पारित करने के बाद राष्ट्रपति को अपने पद से हटना होगा। 
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