नई दिल्ली। शिवसेना को छोड़कर राजग के बाकी सभी घटक दलों ने रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुने जाने का स्वागत किया वहीं विपक्षी दलों को यह घोषणा रास नहीं आती लग रही है। उन्होंने कोविंद को समर्थन देने को लेकर रहस्य बरकरार रखा। विपक्षी दल अपना संयुक्त उम्मीदवार भी उतार सकते हैं।
शिवसेना ने कहा कि केवल वोट-बैंक की राजनीति के लिए दलित उम्मीदवार को चुना गया है। इससे पहले पार्टी ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और जानेमाने कृषि विज्ञानी एम एस स्वामीनाथन का नाम इस पद के लिए सुझाया था जिसे स्वीकार नहीं किया गया। शिवसेना 71 वर्षीय कोविंद को समर्थन देने के संबंध में आज अंतिम फैसला करेगी।
दो बार भाजपा के राज्यसभा सदस्य रहे और पार्टी के अनुसूचित मोर्चा के अध्यक्ष रहे कोविंद के नाम की घोषणा आज भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने की। शाह ने उम्मीद जताई कि बिहार के राज्यपाल कोविंद के नाम पर सहमति बन जाएगी।
हालांकि कांग्रेस ने आम-सहमति की भाजपा की अपील को खारिज करते हुए कहा कि 22 जून को बैठक के बाद विपक्ष चुनाव लड़ने या नहीं लड़ने के बारे में फैसला करेगा।
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने घोषणा के बाद कहा कि भाजपा ने एकपक्षीय फैसला किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर टिप्पणी नहीं करना चाहती क्योंकि हम राष्ट्रपति चुनाव पर सभी अन्य विपक्षी दलों के साथ आम-सहमति से निर्णय करना चाहते हैं। अंतिम फैसला 22 जून को सभी विपक्षी दलों की बैठक में लिया जाएगा।
भाजपा द्वारा दलित उम्मीदवार को खड़ा करने के संदर्भ में आजाद ने कहा कि मैं इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहता। मैं उम्मीदवार के गुण-दोषों पर टिप्पणी नहीं करना चाहता। सूत्रों के मुताबिक वाम दलों ने कहा कि विपक्ष एक संयुक्त उम्मीदवार खड़ा कर सकता है और 22 जून की बैठक में इस बारे में चर्चा की जाएगी।
विपक्षी दल जिन कुछ नामों पर विचार कर रही है, उनमें पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे, डॉ. बीआर अंबेडकर के पौत्र प्रकाश अंबेडकर और सेवानिवृत राजनयिक गोपाल कृष्ण गांधी हैं। (भाषा)