कोविंद ने कहा, 'इस देश में हमें राज्यों और क्षेत्रों, पंथों, भाषाओं, संस्कृतियों, जीवन शैलियों जैसी कई बातों का सम्मिश्रण देखने को मिलता है। हम बहुत अलग हैं, लेकिन फिर भी एक हैं, एकजुट हैं।'
नए राष्ट्रपति ने कहा कि 21वीं सदी का भारत, ऐसा भारत होगा जो हमारे पुरातन मूल्यों के अनुरूप होने के साथ ही साथ चौथी औद्योगिक क्रांति को भी विस्तार देगा। इसमें ना कोई विरोधाभास है और ना ही किसी तरह के विकल्प का प्रश्न उठता है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी परंपरा और प्रौद्योगिकी, प्राचीन भारत के ज्ञान और समकालीन भारत के विज्ञान को साथ लेकर चलना है।
कोविंद ने कहा कि एक तरह जहां ग्राम पंचायत पर सामुदायिक भावना से विचार विमर्श करके समस्याओं का निस्तारण होगा, वहीं दूसरी ओर डिजिटल राष्ट्र हमें विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचने में सहायता करेगा। ये हमारे राष्ट्रीय प्रयासों के दो महत्वपूर्ण स्तंभ हैं।
उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण अकेले सरकारों द्वारा नहीं किया जा सकता। सरकार सहायक हो सकती है, वो राष्ट्र की उद्यमी और रचनात्मक प्रवृत्तियों को दिशा दिखा सकती है, प्रेरक बन सकती है।
उन्होंने कहा, 'राष्ट्र निर्माण का आधार है- राष्ट्रीय गौरव : हमें गर्व है भारत की मिट्टी और पानी पर, हमें गर्व है भारत की विविधता और समग्रता पर, हमें गर्व है भारत की संस्कृति, परंपरा और अध्यात्म पर, हमें गर्व है देश के प्रत्येक नागरिक पर, हमें गर्व है अपने कर्तव्यों के निर्वहन पर और हमें गर्व है हर छोटे से छोटे काम पर, जो हम प्रतिदिन करते हैं।' (भाषा)