फिल्म जगत हो, खेल जगत हो, मीडिया के हमारे साथी हों, सामाजिक संगठनों से जुड़े हुए लोग हों, सांस्कृतिक संगठनों से जुड़े हुए लोग हों, कथा-कीर्तन करने वाले लोग हों, हर कोई अपने-अपने तरीके से इस आंदोलन का नेतृत्व करे। समाज को जगाएं, समाज को जोड़ें, समाज के साथ जुटें। आप देखिए, अपनी आंखों के सामने हम परिवर्तन देख पाएंगे।