प्रधानमंत्री ने आंतकी घटना का जिक्र करते हुए कहा कि गुलाम नबी जब मुख्यमंत्री थे तो मैं भी एक राज्य का मुख्यमंत्री था। हमारी बहुत गहरी निकटता रही। एक बार जम्मू-कश्मीर में गुजरात के कुछ यात्रियों पर आतंकवादियों ने हमला कर दिया, 8 लोग उसमें मारे गए। सबसे पहले गुलाम नबीजी का मुझे फोन आया। उनके आंसू रुक नहीं रहे थे। इस घटना को याद करते हुए प्रधानमंत्री की आंखें डबडबा गईं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे चिंता इस बात की है कि गुलाम नबी के बाद जो भी इस पद को संभालेंगे, उनको गुलाम नबी से मैच करने में बहुत दिक्कत पड़ेगी, क्योंकि गुलाम नबी अपने दल की चिंता करते थे, लेकिन देश और सदन की भी उतनी ही चिंता करते थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गुलाम नबी आजाद, शमशेर सिंह, मीर मोहम्मद फैयाज जी, नादिर अहमद जी मैं आप चारों महानुभावों को इस सदन की शोभा बढ़ाने के लिए, आपके अनुभव, आपके ज्ञान का सदन को और देश को लाभ देने के लिए और आपने क्षेत्र की समस्याओं का समाधान के लिए आपके योगदान का धन्यवाद करता हूं।