India-Pakistan tension : भारत और पाकिस्तान में सैन्य टकराव को रोकने को लेकर बनी सहमति के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सशस्त्र बलों को निर्देश दिया है कि पाकिस्तान की हर कार्रवाई का अधिक सख्ती से जवाब दिया जाना चाहिए और अगर वहां से गोली चलेगी, तो यहां से गोला चलेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि उन्होंने ही दोनों देशों के बीच मध्यस्थता कराई है। लेकिन भारत ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया था और कहा कि कश्मीर मुद्दे पर कभी भी मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा और चर्चा का एकमात्र मुद्दा यह है कि पाकिस्तान अपने अवैध कब्जे वाले क्षेत्र को वापस करे। ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है।
भारत और पाकिस्तान में सैन्य टकराव रोकने के लिए बनी सहमति के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सशस्त्र बलों को निर्देश दिया है कि पाकिस्तान की हर कार्रवाई का अधिक सख्ती से जवाब दिया जाना चाहिए और अगर वहां (पाकिस्तान) से गोली चलेगी, तो यहां (भारत) से गोला चलेगा। सरकारी सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है।
सूत्रों ने कहा कि भारत कश्मीर मुद्दे पर कभी भी मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा और चर्चा का एकमात्र मुद्दा यह है कि पाकिस्तान अपने अवैध कब्जे वाले क्षेत्र को वापस करे। सूत्रों के मुताबिक, भारत के खिलाफ पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद जारी रहने तक सिंधु जल संधि स्थगित रहेगी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन जारी रखते हुए अपने पसंद के क्षेत्रों में सहयोग की उम्मीद नहीं कर सकता।
सूत्रों ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के साथ केवल सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) स्तर पर बातचीत होगी। सूत्रों के अनुसार, दोनों देशों के बीच तनाव में कमी लाने के लिए 10 मई को पाकिस्तानी सैन्य अभियान महानिदेशक ने ही भारतीय डीजीएमओ से संपर्क किया था। उन्होंने कहा कि सात मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकवादी ठिकानों पर हमले के बाद भारत का रुख यही था कि अगर पाकिस्तान गोलीबारी करता है, तो भारत अधिक मजबूती से जवाब देगा।
सूत्रों के मुताबिक, पहलगाम हमले के बाद भारत ने उससे संपर्क करने वाले देशों से कहा कि वह पाकिस्तानी सीमा में आतंकवादियों के बुनियादी ढांचे पर हमला करेगा। पाकिस्तान को सीमा पार आतंकवाद की अब और भी अधिक भारी कीमत चुकानी पड़ेगी और इस्लामाबाद आतंकवाद को समर्थन जारी रखते हुए अपने पसंद के क्षेत्रों में सहयोग की उम्मीद नहीं कर सकता।
सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि कश्मीर पर हमारा स्टैंड क्लियर है। केवल एक मुद्दा बचा है और वो ये है कि गुलाम जम्मू-कश्मीर को वापस लेना। इस बारे में कोई बातचीत नहीं होगी। अगर वह आतंक पर बात करेंगे, तो हम तैयार हैं। हमे किसी के मध्यस्थता की जरूरत नहीं है।
उल्लेखनीय है कि सीमा पर चार दिन तक भीषण सैन्य संघर्ष के बाद विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने शनिवार शाम घोषणा की कि भारत और पाकिस्तान में जमीन, हवा और समुद्र पर सभी गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई को तत्काल प्रभाव से रोकने के लिए सहमति बन गई है। (इनपुट भाषा)