शीर्ष अदालत ने कहा कि आपदा प्रबंधन (डीएम) अधिनियम, 2005 के तहत अधिकार का इस्तेमाल करते हुए एसडीएमए या राज्य द्वारा अंतिम वर्ष और टर्मिनल सेमेस्टर परीक्षा 30 सितंबर तक आयोजित नहीं करने का निर्णय यूजीसी द्वारा निर्धारित समय सीमा के स्थान पर प्रभावी होगा।
पीठ ने अपने 160 पृष्ठ के फैसले में कहा, इस प्रकार, हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि राज्य या एसडीएमए का डीएम अधिनियम, 2005 के तहत पिछले प्रदर्शन या आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर छात्रों को प्रोन्नत करने संबंधी फैसला लेने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है।
पीठ ने कहा कि यदि किसी राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश ने डीएम अधिनियम के तहत अपने क्षेत्राधिकार में, एक निर्णय लिया है कि 30 सितंबर तक अंतिम वर्ष/ टर्मिनल सेमेस्टर परीक्षा आयोजित करना संभव नहीं है, तो हम ऐसे राज्य/ केन्द्र शासित प्रदेश को स्वतंत्रता प्रदान करते हैं कि वे 30 सितंबर की समय सीमा बढ़ाने के लिए यूजीसी से अनुरोध करे और इस पर यूजीसी द्वारा विचार किया जाएगा और जल्द से जल्द इस तरह के राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश को पुनर्निर्धारित तारीख के बारे में जाएगा।
पीठ ने छात्रों, निजी संगठनों और शिवसेना की युवा शाखा ‘युवा सेना’ द्वारा दायर याचिकाओं का निपटारा किया।याचिकाओं में यूजीसी के छह जुलाई के उस निर्देश को चुनौती दी गई थी कि जिसमें कहा गया था कि विश्वविद्यालय 30 सितंबर तक अंतिम वर्ष की परीक्षा आयोजित करेंगे।(भाषा)