नई दिल्ली। राहुल गांधी के 16 दिसंबर को कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर कार्यभार संभालने की संभावना है। इसके साथ ही पार्टी में पीढ़ीगत बदलाव होगा जब उनकी मां और सबसे लंबी अवधि तक पार्टी अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी औपचारिक तौर पर उन्हें बागडोर सौंपेंगी। यह बदलाव देश की सबसे पुरानी पार्टी में नए युग का आगाज करेगा।
कांग्रेस पार्टी ने स्वतंत्रता के बाद से आधी सदी से अधिक समय तक देश पर शासन किया है। नेहरू-गांधी परिवार के वंशज 47 वर्षीय राहुल के सामने पार्टी की खोई हुई प्रतिष्ठा को लौटाने का कठिन काम है। पार्टी के सितारे हालिया वर्षों में गर्दिश में रहे हैं।
एक समय पूरे देश पर कांग्रेस का नियंत्रण था, लेकिन वर्तमान में सिर्फ पांच राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी में उसकी सरकार है। राहुल के कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने की घोषणा हालांकि कल किए जाने की संभावना है। कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नामांकन-पत्र वापस लेने की आखिरी तारीख कल है। इस पद के लिए मैदान में अकेले राहुल गांधी ही हैं।
राहुल गांधी के पक्ष में कुल 89 नामांकन पत्र दाखिल किए गए थे। जांच में सभी नामांकन पत्रों को वैध पाया गया। कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव प्राधिकार :सीईए: के अध्यक्ष मुल्लापल्ली रामचंद्रन और सीईए के सदस्य मधुसूदन मिस्त्री और भुबनेश्वर कलीता घोषणा करेंगे कि सिर्फ राहुल ने शीर्ष पद के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया। रामचंद्रन ने बताया कि राहुल गांधी को हालांकि पार्टी अध्यक्ष नियुक्त किए जाने का प्रमाण पत्र 16 दिसंबर को सोनिया गांधी और कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में सौंपा जाएगा।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि सोनिया गांधी आधिकारिक तौर पर 132 साल पुरानी पार्टी की बागडोर अपने बेटे को 16 दिसंबर की सुबह तकरीबन 11 बजे सौंपेंगी। इसके बाद राहुल गांधी कांग्रेस मुख्यालय में देशभर के नेताओं से मिलेंगे। कांग्रेस 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद एक के बाद एक विधानसभा चुनावों में हार का सामना कर रही है। हालांकि, उसे पंजाब विधानसभा चुनाव में जीत मिली थी।
राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष गुजरात और हिमाचल विधानसभा चुनाव का परिणाम आने से ठीक दो दिन पहले नियुक्त किया जाएगा। राहुल ने गुजरात में कांग्रेस के लिए जोर-शोर से प्रचार किया है और अगर वह चुनाव में जीत हासिल करती है तो यह उनके लिए संजीवनी बूटी का काम करेगी। कई विश्लेषक गुजरात विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर होने की बात कह रहे हैं।
कांग्रेस के एक नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि गुजरात में अच्छा नतीजा देना महत्वपूर्ण होगा क्योंकि यह राहुल गांधी के सामने पहली तात्कालिक परीक्षा है। उन्होंने राज्य में जोर-शोर से भाजपा के खिलाफ प्रचार अभियान का नेतृत्व किया है। हम गुजरात में जीत की उम्मीद कर रहे हैं। महिला कांग्रेस अध्यक्ष और पार्टी प्रवक्ता सुष्मिता देव ने कहा कि पार्टी का पुनर्गठन राहुल के लिए दूसरा बड़ा काम होगा।
उन्होंने पीटीआई से कहा कि हर पद के साथ चुनौती आती है। उन्हें जमीनी स्तर पर पार्टी का पुनर्निर्माण करना है और इसके वैचारिक आधार को मजबूत करना होगा। पार्टी अध्यक्ष के तौर पर उनका निर्विवाद निर्वाचन उनकी ताकत का संकेत है। उन्हें एआईसीसी से लेकर राज्यों तक सबको साथ लेकर चलना होगा। पार्टी के पुराने नेताओं और युवा नेताओं के बीच संतुलन स्थापित करना संगठन चलाने के लिए महत्वपूर्ण होगा। पार्टी में कई अनुभवी नेता हैं, जिनके अनुभवों का इस्तेमाल वे पार्टी को चलाने में कर सकते हैं।
राहुल ने पहले कहा था कि वे पुराने लोगों के अनुभव और युवाओं की ऊर्जा का इस्तेमाल करेंगे। एक नेता ने कहा कि शुरुआती संकेत उत्साहजनक हैं क्योंकि उन्होंने वरिष्ठ नेताओं अशोक गहलोत और सुशील कुमार शिंदे को क्रमश: गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव का प्रभारी बनाया और उन पर भरोसा करने के इच्छुक दिखे। हिन्दुत्व के मुद्दे पर पार्टी के वैचारिक रुख को स्पष्ट करना भी महत्वपूर्ण होगा क्योंकि वह गुजरात में मंदिरों की यात्रा करके कांग्रेस के नरम हिन्दुत्व को आगे बढ़ाते दिख रहे हैं। उन्होंने खुद को ‘शिव भक्त’ भी बताया है। इन यात्राओं को पार्टी की ओर से भाजपा के इन आरोपों को काटने के प्रयासों के तौर पर देखा जा रहा है जिसमें उस पर अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण का आरोप लगाया जाता रहा है। (भाषा)