नई दिल्ली। सरकार ने आज कहा कि म्यांमार से भारत में आने वाले रोहिंग्या प्रवासियों के बारे में अवैध गतिविधियों में शामिल होने की सूचना मिली है और कुछ महीने पहले ही राज्यों को परामर्श जारी कर कहा गया था कि इनकी गतिविधि पर नजर रखी जाए।
लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान अरविंद सावंत, रामस्वरूप शर्मा और सुगत बोस के पूरक प्रश्नों के उत्तर में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सीमा सुरक्षाबल और असम राइफल्स को सजग किया गया है कि म्यांमार से लगी सीमा से रोहिंग्या भारत में प्रवेश नहीं कर सकें।
उन्होंने कहा कि फरवरी, 2018 में राज्यों को जारी ताजा परामर्श में कहा गया था कि वे अपने यहां मौजूद रोहिंग्या की गणना करें और उनको एक निश्चित क्षेत्र में सीमित रखें तथा उनकी गतिविधि पर भी नजर रखी जाए। सिंह ने कहा कि राज्य सरकारों से रोहिंग्या के बारे में रिपोर्ट मांगी गई है और रिपोर्ट मिल जाने के बाद हम इसे विदेश मंत्रालय को देंगे। इसके बाद विदेश मंत्रालय रोहिंग्या को म्यांमार वापस भेजने के बारे में वहां की सरकार से बात करेगा।
उन्होंने कहा कि कानूनी तौर पर राज्य भी अवैध प्रवासियों को उनके देश भेज सकते हैं। इससे पहले, गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने एक पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि रोहिंग्या भारत में शरणार्थी नहीं हैं, बल्कि अवैध प्रवासी हैं। उन्होंने कहा कि कई जगहों से रोहिंग्या लोगों के अवैध गतिविधि में शामिल होने की सूचना मिली है, हालांकि इस बारे में खुलासा नहीं किया जा सकता।
रिजिजू ने कहा कि राज्य ये सुनिश्चित करें कि रोहिंग्या प्रवासी किसी तरह का सरकारी दस्तावेज हासिल नहीं कर सकें। उन्होंने कहा, सबसे अधिक रोहिंग्या जम्मू-कश्मीर में हैं। इसके अलावा तेलंगाना, दिल्ली और हरियाणा में भी रोहिंग्या हैं। मंत्री ने कहा कि म्यांमार में रखाइन प्रांत में राहत अभियान में भारत सरकार ने मदद की है। (भाषा)