शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में लिखा है, स्वयंभू देवदूत श्रीश्री रविशंकर पिछले दो साल से राम मंदिर मामले में हस्तक्षेप कर बातचीत में एक पार्टी बनने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने अब कहा है कि अगर यह मुद्दा नहीं सुलझता है तो सीरिया की तरह स्थिति बन सकती है।
इसमें कहा गया है कि अगर धार्मिक गुरु ने यह धमकी दी है तो इसकी जांच की जानी चाहिए। उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली पार्टी ने कहा है, राष्ट्रीय सुरक्षा की खातिर उनके बयान की जांच होनी चाहिए। किस प्रकार का आर्ट ऑफ लिविंग है यह, जहां लोगों को धमकी दी जाती है अथवा उनकी हत्या की जाती है।
भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने कहा है कि भाजपा संसद में बहुमत में है और अगर वह चाहे तो एक अध्यादेश ला सकती है और अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य 24 घंटे के अंदर शुरू करवा सकती है। इसमें आरोप लगाया गया, सरकार, हालांकि अपने पैर पीछे खींच रही है। संपादकीय में कहा गया है कि किसी को ऐसे गुरु की आवश्यकता नहीं है जो लोगों से यह कहे कि अदालत में मसले का समाधान नहीं हो सकता है। रविशंकर को इस मामले में हस्तक्षेप करना बंद करना चाहिए।
शिवसेना ने कहा, उन्हें अपने आर्ट ऑफ लिविंग के काम में ही रहना चाहिए और इस मुद्दे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा प्रमुख अमित शाह तथा संघ प्रमुख मोहन भागवत के लिए छोड़ देना चाहिए। इसमें यह भी कहा गया है कि रविशंकर को किसानों की स्थिति, गरीबों, बेरोजगारों और महिलाओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। (भाषा)